March 22, 2025
Uttar Pradesh

उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने भारत की सांस्कृतिक विरासत का विश्व से कराया परिचय : योगी आदित्यनाथ

Ustad Bismillah Khan introduced India’s cultural heritage to the world: Yogi Adityanath

लखनऊ, 22 मार्च । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘भारत रत्न’ शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की जयंती पर शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि उनकी संगीत साधना वंदनीय है। सीएम योगी के साथ ही गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने भी उत्साद को नमन किया।

एक्स हैंडल पर पोस्ट साझा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अपने वादन के जरिए उन्होंने भारत की सांस्कृतिक से विश्व को रूबरू कराया। उन्होंने लिखा, “सुप्रसिद्ध शहनाई वादक, ‘भारत रत्न’ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने शहनाई वादन से भारत की सांस्कृतिक विरासत के विराट स्वरूप का विश्व से परिचय कराया, उनकी संगीत साधना वंदनीय है। आज उनकी जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!”

अभिनेता और गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने एक्स पर उस्ताद को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “भारत रत्न से अलंकृत, भारत के प्रख्यात शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहब जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।”

उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का जन्म बिहार में हुआ था, मगर उन्हें बनारस से अगाध प्रेम था। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था, “अगर किसी को सुरीला बनना है तो बनारस चला आए और गंगा जी के किनारे बैठ जाए, क्योंकि बनारस के नाम में “रस” आता है।”

बिस्मिल्लाह खां ने कहा था, “चाहे काशी विश्वनाथ मंदिर हो या बालाजी मंदिर या फिर गंगा घाट, यहां शहनाई बजाने में एक अलग ही सुकून मिलता है।”

बिस्मिल्लाह खां ने गंगा-जमुनी तहजीब को भी बढ़ावा दिया। वह बाबा विश्वनाथ मंदिर में जाकर तो शहनाई बजाते ही थे। साथ ही गंगा किनारे बैठकर घंटों तक रियाज भी करते थे। त्योहार कोई भी हो, खान साहब की शहनाई के बगैर वह अधूरा ही था। उनके लिए संगीत ही उनका धर्म था।

उन्होंने यूएसए, कनाडा, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, वेस्ट अफ्रीका जैसे देशों में शहनाई बजाई।

उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को भारत के चारों सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें पद्म श्री (1961), पद्म भूषण (1968), पद्म विभूषण (1980) और 2001 में भारत रत्न से नवाजा गया था।

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