उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में अवैध रूप से संचालित मदरसों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार ने मदरसों की फंडिंग की भी जांच शुरू कर दी है। मदरसा बोर्ड ने इस कार्रवाई का समर्थन किया है।
सरकार ने अब तक 136 मदरसों को कागजात की कमी के कारण सील किया है। राज्य में करीब 450 पंजीकृत मदरसे हैं, जो शासन को अपने दस्तावेज, बैंक खाते और आय-व्यय की पूरी जानकारी प्रस्तुत करते हैं। वहीं, अनुमान है कि 500 से अधिक ऐसे मदरसे हैं जो बिना किसी मान्यता के संचालित हो रहे हैं। इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का सत्यापन और आर्थिक स्रोतों की जांच अब सरकार द्वारा की जा रही है।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने सरकार की इस कार्रवाई को सही ठहराया है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए जानी जाती है। मदरसे भी पारदर्शिता के आधार पर शिक्षा देते हैं। अगर पारदर्शिता और ईमानदारी सिखाई जा सकती है, तो मदरसों को अपनी आय के स्रोत बताने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यह कार्रवाई किसी खास समुदाय या मदरसों को निशाना बनाने के लिए नहीं है।”
मुफ्ती कासमी ने कहा, “27 फरवरी को हमें 88 आवेदन मिले थे, जिनमें से 51 मदरसों का सत्यापन किया गया और पाया गया कि वे मानकों पर खरे उतरते हैं। जो मदरसे मानकों पर खरे नहीं उतरे, उन्हें अनुपालन के निर्देश दिए गए। दिशा-निर्देशों का पालन करना मदरसों की जिम्मेदारी है और सत्यापन कराना सरकार का कर्तव्य है।”
विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने सरकार और मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष पर हमला बोलते हुए इसे धार्मिक उन्माद और भेदभाव की राजनीति करार दिया है। उनका कहना है कि यह कदम केवल एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए उठाया गया है।
बीते दिनों मुख्यमंत्री धामी ने कहा था कि उनकी सरकार का संकल्प है कि प्रदेश में जो भी अवैध मदरसे या अतिक्रमण पाए जाएंगे, उनकी जांच की जाएगी और उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। अवैध रूप से संचालित मदरसों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई पहले से ही की जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह अभियान निरंतर जारी रहेगा।
सरकार के इस कदम को लेकर राज्य में चर्चा जोरों पर है। यह साफ हो गया है कि मदरसों में पारदर्शिता और निगरानी को लेकर सरकार सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है।