शिमला जिला प्रशासन ने हिमाचल के बाहर से आने वाले और अस्थायी रूप से काम के लिए यहां रहने वाले सभी प्रवासी श्रमिकों, रेहड़ी-पटरी वालों और फेरीवालों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य कर दिया है।
उपायुक्त (डीसी) अनुपम कश्यप ने एक लिखित आदेश में कहा कि कोई भी नियोक्ता/ठेकेदार/व्यवसायी शिमला जिले में आने वाले किसी भी प्रवासी श्रमिक को किसी भी छोटे, अनौपचारिक कार्य, सेवा या अनुबंध श्रम के लिए तब तक नियुक्त नहीं करेगा जब तक कि वह पहचान और पृष्ठभूमि सत्यापन के लिए स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को अपना पूरा विवरण और पासपोर्ट आकार का फोटो प्रस्तुत नहीं करता।
उन्होंने कहा, “उपरोक्त श्रेणी के किसी भी व्यक्ति को शिमला जिले में पहुँचने पर, किसी भी प्रकार के स्व-रोज़गार या अनौपचारिक सेवा/व्यवसाय में रोज़गार तलाशने या काम शुरू करने के अपने इरादे की सूचना संबंधित थाना प्रभारी को देनी होगी। इस आदेश का उल्लंघन करने पर ऐसे प्रवासी श्रमिकों और उनके नियोक्ताओं पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।”
कश्यप ने कहा, “जिले में सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए इसे अनिवार्य बनाया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, यह आदेश एकपक्षीय रूप से जारी किया जा रहा है और सार्वजनिक रूप से लागू होगा। यह 1 दिसंबर, 2025 से प्रभावी होगा और 31 जनवरी, 2026 तक प्रभावी रहेगा। इस आदेश का उल्लंघन कानून के अनुसार दंडनीय होगा।”


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