October 11, 2024
Haryana

हिसार विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा, मधुमक्खी पालन कृषि उत्पादन और रोजगार सृजन का अभिन्न अंग है

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार के कीट विज्ञान विभाग में गुरुवार को मधुमक्खी पालन पर सात दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) और राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) द्वारा प्रायोजित था।

कार्यक्रम में कुलपति प्रोफेसर बीआर कंबोज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 28 अधिकारी और जवान भाग ले रहे थे।

कुलपति ने कहा कि कृषि क्षेत्र में मधुमक्खी पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय के रूप में विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ मधुमक्खी पालन रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि छोटे और सीमांत किसान, भूमिहीन और बेरोजगार युवा वैकल्पिक व्यवसाय के रूप में मधुमक्खी पालन को अपना सकते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य है। उन्होंने कहा, “भारत दुनिया के प्रमुख शहद निर्यातक देशों में से एक है। हमारे देश में उत्पादित शहद का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा दूसरे देशों को निर्यात किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा, ‘‘श्वेत क्रांति, हरित क्रांति और नीली क्रांति के बाद अब देश को ‘मीठी क्रांति’ की जरूरत है।’’ कंबोज ने कहा कि मधुमक्खियों ने अनाज उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। “लेकिन कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मधुमक्खियों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए किसानों को कीटनाशकों का इस्तेमाल सीमित मात्रा में करना चाहिए,” उन्होंने कहा।

कुलपति ने कहा कि मधुमक्खी पालन के माध्यम से जैव विविधता को और अधिक बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एचएयू और विभिन्न संस्थान मधुमक्खियों पर शोध कार्य, मधुमक्खी पालन पर सरल और अल्पकालिक प्रशिक्षण, विभिन्न मीडिया और ऋण सुविधाओं/सरकारी वित्तीय सहायता के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कृषि एवं किसान मंत्रालय ने पहले चार कृषि इनपुट के रूप में बीज, उर्वरक, सिंचाई और कीटनाशकों में निवेश करने के बाद अब मधुमक्खी पालन को कृषि में पांचवें निवेश का दर्जा दिया है।

निदेशक अनुसंधान डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि प्रशिक्षण सत्र के दौरान अनुभवी वैज्ञानिकों द्वारा मधुमक्खी पालन से संबंधित जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के माध्यम से प्रतिभागियों को यह भी बताया जाएगा कि मधुमक्खी पालन को स्वरोजगार से जोड़कर किस प्रकार आय बढ़ाई जा सकती है।

कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ. एसके पाहुजा ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन और मशरूम की खेती के बारे में जागरूक करने के लिए सभी प्रकार की जानकारी प्रदान की जा रही है ताकि वे अपनी आय बढ़ा सकें।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जल्द ही सैनिकों के लिए तीन महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है जिसमें कृषि और कृषि से जुड़े सभी व्यवसायों के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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