राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने शिमला जिले के ठियोग में पिछले महीने उजागर हुए जलापूर्ति घोटाले में एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1998 और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धाराओं के तहत दर्ज की गई है।
घोटाले का खुलासा होने के बाद जांच राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंप दी गई। जांच में उत्कृष्टता के लिए 2022 के केंद्रीय गृह मंत्री पदक विजेता नरवीर राठौर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के नेतृत्व में विशेष जांच इकाई (एसआईयू) द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के दौरान कुप्रबंधन, पारदर्शिता की कमी और धोखाधड़ी की प्रथाओं का खुलासा हुआ।
प्रारंभिक जांच के दौरान पाया गया कि पानी के टैंकर ट्रिप और वितरण रिकॉर्ड के उचित सत्यापन के बिना 1,13,10,470 रुपये का भुगतान किया गया था। ठेकेदार के बिलों में उल्लिखित कई वाहन पंजीकरण संख्याएँ फर्जी पाई गईं। यह भी पाया गया कि संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी थी क्योंकि वे लॉगबुक और आवश्यक वित्तीय रिकॉर्ड बनाए रखने में विफल रहे, जिससे धन के दुरुपयोग की चिंता बढ़ गई।
इसके अलावा, क्षेत्र सत्यापन से पता चला कि यात्रा विवरण में विसंगतियां थीं, तथा पानी अनधिकृत स्थानों से लिया गया था।
जल शक्ति विभाग द्वारा जारी टेंडर में बताई गई शर्तों के अनुसार काम नहीं किया गया। टेंडर में ठियोग के निकट लेलू पुल से स्वच्छ जल आपूर्ति की बात कही गई थी, लेकिन जांच में पता चला कि ठेकेदार ने इस स्थान से टैंकर या पिकअप में पानी नहीं भरा। बल्कि टैंकर और पिकअप के चालक नालों से पानी भरकर लोगों को सप्लाई कर रहे थे।
इस कथित घोटाले का खुलासा ठियोग के पूर्व विधायक और सीपीएम नेता राकेश सिंघा ने जनवरी में आरटीआई सूचना के आधार पर किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि जलापूर्ति में गंभीर अनियमितताएं हैं। सिंघा ने आरोप लगाया है कि जलापूर्ति के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर पानी के टैंकरों के बजाय मोटरसाइकिलों, कारों के निकले, जिनमें एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का वाहन भी शामिल है।