लखनऊ, 18 फरवरी । उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाएं अब केवल गृहिणी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर कारीगर और उद्यमी भी बन रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए कई योजनाएं चला रही है। इसका प्रभाव यह हुआ है कि राज्य की महिलाएं उपभोक्ता से उत्पादक बनकर समाज में बदलाव की वाहक बन रही हैं। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (यूपीएसआरएलएम) के अंतर्गत गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
योगी सरकार प्रदेश की महिलाओं को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है। सरकार के प्रयासों का सार्थक परिणाम भी सामने आने लगा है। प्रदेश की महिलाएं अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि बदलाव की वाहक बन चुकी हैं। मनरेगा साइटों पर सिटीजन इंफॉर्मेशन बोर्ड (सीआईबी) के निर्माण ने महिलाओं के लिए आय का एक नया स्रोत खोल दिया है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1,100 से अधिक स्वयं सहायता समूहों की 5,000 से ज्यादा महिलाओं ने 5 लाख से अधिक सीआईबी बोर्ड बनाए। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 5,465 महिलाओं द्वारा लगभग 3.76 लाख बोर्ड तैयार किए जा चुके हैं। योगी सरकार ने सुनिश्चित किया है कि मनरेगा के तहत बनने वाली सभी परिसंपत्तियों के लिए सीआईबी बोर्ड की आपूर्ति स्वयं सहायता समूहों से ही कराई जाए, जिससे महिलाओं को स्थायी रोजगार और आत्मनिर्भरता का अवसर मिल रहा है।
राज्य सरकार की विद्युत सखी योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 790 करोड़ रुपये का बिजली बिल संग्रह किया है। अब तक इस योजना से जुड़ी महिलाओं ने कुल 1,600 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह कर लिया है। दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में ओटीएस योजना के तहत 303 करोड़ रुपये के बिजली बिल संग्रह पर 3.5 करोड़ रुपये का कमीशन महिलाओं को मिला। इस योजना से महिलाओं को न केवल आर्थिक मजबूती मिली है, बल्कि वे समाज में आत्मनिर्भरता की मिसाल भी पेश कर रही हैं।
वित्तीय वर्ष 2024 में विद्युत सखी कार्यक्रम के तहत 438 महिलाओं ने ‘लखपति दीदी’ बनने का गौरव प्राप्त किया। इन महिलाओं ने कठिन परिश्रम और आत्मनिर्भरता के दम पर एक नई सफलता हासिल की। चालू वित्त वर्ष में विद्युत सखियों को कुल 10 करोड़ रुपये का कमीशन मिला है। इस सफलता को देखते हुए यूपीएसआरएलएम ने सीईईडब्ल्यू और एसआईआरडी-यूपी के सहयोग से 13,500 नई विद्युत सखियों को प्रशिक्षित किया है, जिससे प्रदेश में 31,000 विद्युत सखियों का कार्यबल तैयार किया जा सके।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बुंदेलखंड में संचालित बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने का एक सफल उदाहरण है। यह कंपनी दुग्ध उत्पादकों से दूध एकत्र कर संरक्षित कर बेचती है, जिससे महिलाओं को सीधा लाभ मिल रहा है। कंपनी के तहत बुंदेलखंड के सात जिलों के 1,120 गांवों में 71,000 महिलाएं प्रतिदिन 2.40 लाख लीटर दूध का संग्रह कर रही हैं। अब तक 1,250 करोड़ रुपये का कारोबार किया जा चुका है, जिसमें से 1,046 करोड़ रुपये का भुगतान पूर्ण हुआ और 24 करोड़ रुपये का लाभांश अर्जित किया गया। इस योजना के तहत 13,600 महिलाएं ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की लखपति महिला योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का लक्ष्य 30 लाख स्वयं सहायता समूह की सदस्यों की वार्षिक पारिवारिक आय को एक लाख रुपये से अधिक करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महिलाओं द्वारा विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को अपनाया जा रहा है। विशेष रूप से, कृषि प्रथाओं को प्राकृतिक एवं जैविक खेती की ओर उन्मुख करने के लिए कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 10 हजार कृषि सखियों के प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अब तक 8,157 सखियों का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है।
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (यूपीएसआरएलएम) के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना (डे-एनआरएलएम) के अंतर्गत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं में से चयनित 21 से 45 वर्ष की आयु की, कृषि में रुचि रखने वाली महिलाओं को कृषि आजीविका सखी के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। सारी सखियां संगठन निर्माण, कृषि आधारित आजीविका, अनुश्रवण और सामुदायिक कृषि विकास के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभा रही हैं, जिससे ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिल रही है।
उत्तर प्रदेश की कई महिलाएं अपनी मेहनत और संकल्प के बल पर आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम कर रही हैं। सोनभद्र की विनीता ने डेयरी उद्योग से जुड़कर प्रतिदिन 10,000-12,000 रुपये का दूध बेचकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत की।
गौतम बुद्ध नगर की सीमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रेरणा कैंटीन की शुरुआत कर हर महीने 36,000-40,000 रुपये की कमाई कर रही हैं। बिजनौर की सरिता दुबे ने ब्यूटी पार्लर व्यवसाय शुरू किया, जबकि देवरिया की मीना देवी ने गोबर से बने उत्पादों का निर्माण कर सालाना 1.5-2 लाख रुपये की कमाई की।
सोनभद्र की शकुंतला मौर्या ने ड्रैगन फ्रूट की खेती से 1 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमाया, जबकि संजू कुशवाहा ने बकरी के दूध से साबुन बनाकर 3.5 लाख रुपये की आय अर्जित की और 300 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।
ललिता शर्मा ने डेयरी उद्योग में सफलता हासिल की, वहीं मेरठ की संगीता तोमर ने विद्युत सखी के रूप में 50,000 रुपये मासिक आय अर्जित कर अपने समुदाय की महिलाओं के लिए मार्गदर्शक बनीं।
योगी सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाई जा रही योजनाएं एक सफल मॉडल बनकर उभरी हैं। महिलाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिससे महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनीं, बल्कि अपने परिवार और समुदाय की समृद्धि में भी योगदान दे रही हैं। सरकार की योजनाओं और महिलाओं की दृढ़ इच्छाशक्ति ने साबित कर दिया है कि सही संसाधन और मार्गदर्शन मिले तो महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं और अपने सपनों को साकार कर सकती हैं।