December 27, 2024
Entertainment

विवेक अग्निहोत्री ने श्याम बेनेगल को किया याद, बताया ‘असाधारण व्यक्तित्व’

Vivek Agnihotri remembered Shyam Benegal, called him an ‘extraordinary personality’

मुंबई, 26 दिसंबर । फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने दिवंगत निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल के साथ एक तस्वीर साझा की और उन्हें न केवल महान निर्माता बल्कि एक संस्था बताया।

सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर अग्निहोत्री ने यादों के बक्से से श्याम बाबू के साथ पहली मुलाकात की याद को खंगाला और प्रशंसकों के साथ साझा किया।

इंस्टाग्राम पर एक पुरानी तस्वीर के साथ ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक ने कैप्शन में लिखा, “ मुझे 1996 में वर्ली के एनएफडीसी थिएटर में ‘द मेकिंग ऑफ द महात्मा’ की ट्रायल स्क्रीनिंग के दौरान अपनी पत्नी के माध्यम से श्याम बाबू से मिलने का सौभाग्य मिला। पल्लवी ने 16 साल की उम्र में उनके साथ काम करना शुरू किया था और वह उनके लिए एक गुरु की तरह थे। मेरा मानना ​​है कि वह अपने निर्देशन में काम करने वाले हर व्यक्ति के लिए गुरु थे। यह पहली बार था जब मैं ऐसे रचनात्मक दिमाग वाले शख्स से मिला, जिसका दुनिया को देखने का नजरिया काफी विकसित और सूक्ष्म था।”

अग्निहोत्री ने श्याम बेनेगल के साथ यादों को साझा करते हुए आगे बताया, “ उस दिन से मैंने उनसे सीखने के हर अवसर का लाभ उठाया। मैंने न केवल सिनेमा बल्कि कला के कई रूप और सामाजिक मुद्दों के बारे में भी काफी कुछ सीखा। उनके साथ जब भी बातचीत करता तो एक नया, अनूठा नजरिया सामने आता था। एक ऐसी सोच, जिसे हम अक्सर फिल्म निर्माण में अनदेखा कर देते हैं क्योंकि यह या तो बहुत स्पष्ट होता है या भ्रामक रूप से सरल होता है। श्याम बाबू के पास जटिल सामाजिक मुद्दों पर सरलता और बिना उलझाए फिल्म बनाने का असाधारण कौशल था, जिससे उनका शिल्प और भी गहरा हो चुका था। श्याम बाबू केवल एक फिल्म निर्माता नहीं थे, वह एक संस्था थे। अपनी विरासत के साथ वह हमेशा भारतीय सिनेमा की सबसे ऊंची शख्सियत में से एक रहेंगे।”

पोस्ट के अंत में अग्निहोत्री ने बेनेगल से मुलाकात न कर पाने वाले लोगों को सांत्वना देते हुए कहा, “ जिन लोगों को उनसे मिलने का सौभाग्य कभी नहीं मिला, वे निराश न हों। वह अपनी फिल्मों के माध्यम से जीवित रहेंगे। वह एक ऐसे दुर्लभ उदाहरण के तौर पर थे, जहां निर्माता और सृजन में अंतर नहीं किया जा सकता। अलविदा श्याम बाबू। आपकी शारीरिक उपस्थिति की बहुत याद आएगी।”

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