बिहार में तेज राजनीतिक हलचल के बीच प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पटना पहुंचे
पटना, बिहार में तेज राजीतिक हलचल के बीच कांग्रेस सभी स्थितियों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। इस बीच, बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास भी सोमवार को पटना पहुंच गए हैं। हालांकि कांग्रेस दास के इस कार्यक्रम में पूर्व निर्धारित बता रही है। जदयू के राजद के साथ जाकर फिर से सरकार बनाने की अटकलों के बीच दास सोमवार की शाम पटना पहुंचे। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड कहते हैं कि प्रभारी का यह कार्यक्रम पूर्व निर्धारित है। उन्होंने बताया कि इस बीच, विधायकों की सोमवार को बैठक हुई।
उन्होंने बैइक के संबंध में बताया कि ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के 80 वीं वर्षगांठ के मौके पर कांग्रेस सेवादल द्वारा पटना में तिरंगा मार्च का आयोजन किया गया है। इस तिरंगा मार्च में बिहार प्रभारी भक्तचरण दास, प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा एवं विधानमंडल दल के नेता अजीत कुमार शर्मा सहित पार्टी के वरिष्ठ नेतागण एवं कार्यकर्तागण भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावे भी प्रदेश प्रभारी के कई जिलों में जाने का कार्यक्रम है। आजादी के 75 वें वर्षगांठ को लेकर कांग्रेस ने राज्य के प्रत्येक जिले में अगस्त क्रांति के दिन 9 अगस्त से शुरू होकर 14 अगस्त तक रोजाना 15-20 किलोमीटर की दूरी तय कर छह दिनों में पूरे जिले में 75 किलोमीटर की पदयात्रा तय करेंगे और राज्य में कुल 4000 किमी की पदयात्रा कांग्रेस नेता करेंगे।
जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पहले ही अपने विधायकों को पटना पहुंचने के लिए कहा है। राजद के विधायकों की मंगलवार को सुबह नौ बजे बैठक होगी और उसी दिन सुबह 11 बजे जदयू के विधायकों की बैठक होगी। बिहार में कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार के राजग से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होने की संभावना है।
जदयू में टूट की आशंका, एकजुटता दिखाने में जुटे पार्टी नेता
पूर्व केंद्रीय मंत्री आर सी पी सिंह के जनता दल (युनाइटेड) से इस्तीफा देने के बाद न केवल जदयू में हलचल तेज है, बल्कि बिहार की सियासत में भी हलचल है। बिहार में जनता दल (युनाइटेड) के फिर से राजद के साथ जाकर सरकार बनाने की चर्चा है, वहीं जदयू खुद को एकजुट भी दिखाने में जुटी है। जदयू द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह पर भट्राचार के आरोप लगाए जाने के बाद सिंह ने जदयू से त्याग पत्र दे दिया। जदयू ने आरोप लगाया था कि राज्यसभा सांसद और फिर केंद्रीय मंत्री रहते सिंह ने गलत तरीके से अकूत अचल संपत्ति बनाई है। इसके बाद सिंह ने जदयू से इस्तीफा दे दिया।
वैसे, सिंह और नीतीश कुमार के रिश्ते में खटास कुछ महीने से ही देखी जा रही है।इधर, सिंह के इस्तीफा दिए जाने के बाद जदयू को भी पार्टी में टूंट का भय सताने लगा है। माना जा रहा है कि सिंह को लेकर रविवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भी जदयू ने अपने बडे सभी नेताओं को उतारकर यही संकेत देने की कोशिश की है कि सिंह के जाने से जदयू पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
रविवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष सिंह के संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुश्वाहा, प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा, जल संसाधन मंत्री संजय झा, मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार सिंहत कई लोग उपस्थित थे।इधर, सिंह के इस्तीफा दिए जाने के बाद जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे मुकेश कुमार सिंह, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष विनय यादव, जदयू नेता मुन्ना हुसैन सहित कई नेताओं ने इस्तीफा दिया है।
जदयू के पूर्व प्रक्ता डॉ अजय आलोक भी कह चुके हैं कि नीतीश कुमार ने बिहार को नाश कर दिया है। इस बीच, जदयू का कोई भी नेता इस संबंध में खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है। जदयू के एक नेता ने दबी जुबान इतना जरूर कहा कि सिंह पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। कई नेता आज भी उनके कारण ही पार्टी में बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि कई नेता उनके इशारे का ही इंतजार कर रहे हैं।
बिहार में बढ़ रही राजनीतिक सरगर्मी के बीच ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति पर चल रही भाजपा ने अपने नेताओं को दी यह सलाह
बिहार में तेजी से बढ़ रही राजनीतिक सरगर्मी के बीच भाजपा ने अपने नेताओं को गठबंधन सरकार के भविष्य और खास तौर से नीतीश कुमार को लेकर किसी भी तरह की अनावश्यक बयानबाजी से दूर रहने की सलाह दी है।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा आलाकमान की तरफ से बिहार से जुड़े सभी दिग्गज नेताओं, सांसदों और विधायकों को बयान से बचने की हिदायत देते हुए यह संदेश भिजवाया गया है कि जेडीयू , नीतीश कुमार और एनडीए के भविष्य के बारे में पूछे गए सवालों पर किसी भी तरह की नकारात्मक टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है।
भाजपा के एक दिग्गज नेता ने बताया कि पार्टी आलाकमान का स्टैंड गठबंधन बिल्कुल साफ है कि बिहार में एनडीए के नेता नीतीश कुमार है और वही राज्य में मुखिया है और भाजपा अपनी तरफ से ऐसा कुछ नहीं करने जा रही है, जिससे उसपर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगे।
दरसअल, नीतीश कुमार को लेकर शुरू से ही भाजपा का सार्वजनिक स्टैंड बिल्कुल साफ रहा है यही वजह है कि जेडीयू से ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद भाजपा ने नीतीश कुमार को ही अपने गठबंधन का नेता बनाया। दरअसल, बिहार की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति अभी भी भाजपा के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है, इसलिए पार्टी अपनी तरफ से इस तरह का कोई संदेश देने से बचना चाहती है कि वो बिहार में एनडीए को तोड़ने के लिए जिम्मेदार है। यही वजह है कि अन्य राज्यों में आक्रामक अंदाज में राजनीतिक पहल कर अपनी सरकार बनाने में माहिर भाजपा बिहार में हर कीमत पर गठबंधन बनाए और बचाए रखने के इच्छुक हैं।
इसके साथ ही भाजपा की यह रणनीति भी है कि अगर गठबंधन तोड़ने की पहल हो तो वो उनकी पार्टी की तरफ से नहीं बल्कि नीतीश कुमार की तरफ से हो ताकि वो जनता के बीच जाकर अपनी बात कह सके। इसलिए जहां बिहार के सियासी घटनाक्रम को लेकर तमाम अन्य राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं वहीं भाजपा अभी भी ‘वेट एंड वॉच’ की मुद्रा में नीतीश कुमार के अगले कदम का इंतजार कर रही है।