वन क्षेत्रों में अवैध डंपिंग पर कड़ा संज्ञान लेते हुए नगर निगम शिमला ने वन विभाग को सख्त कार्रवाई करने तथा ऐसी गतिविधियों पर तुरंत अंकुश लगाने के निर्देश दिए हैं।
यह निर्देश महापौर सुरेन्द्र चौहान ने आज निगम की मासिक आम बैठक के दौरान जारी किए। उन्होंने वन क्षेत्रों में अवैध डंपिंग जारी रहने पर चिंता व्यक्त की, जो नगर निगम के नहीं बल्कि वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
मेयर ने कहा, “वन विभाग को पर्यावरण के लिए हानिकारक इन प्रथाओं को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।” उन्होंने अधिकारियों से यह भी पूछा कि स्पष्ट पर्यावरणीय जोखिम और पिछली चेतावनियों के बावजूद अवैध डंपिंग क्यों हो रही है।
वन विभाग की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए मेयर ने कहा, “जिम्मेदार लोगों पर शिकंजा कसना उनका कर्तव्य है। अवैध डंपिंग पर्यावरण और वन क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा है, और शिमला के हरित क्षेत्रों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।”
पर्यावरण संबंधी चिंताओं के अलावा, निगम ने कुत्तों के लिए एक मोबाइल डिस्पेंसरी शुरू करने की भी घोषणा की। महापौर चौहान ने कहा कि नई सेवा घायल कुत्तों को मौके पर ही प्राथमिक उपचार प्रदान करेगी, जिससे उन्हें मामूली चोटों के लिए अस्पताल या डॉग शेल्टर में ले जाने की आवश्यकता कम हो जाएगी। उन्होंने कहा, “यह पहल घायल आवारा कुत्तों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया और देखभाल सुनिश्चित करेगी।”
महापौर ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने कुत्तों की नसबंदी के प्रयासों में सहायता के लिए निगम को एक पशु चिकित्सक नियुक्त किया है। बैठक में शहर में आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए अब तक उठाए गए कदमों पर भी चर्चा हुई।