कोलकाता, 4 जनवरी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और विधायक तापस रॉय के बीच उस टिप्पणी को लेकर जुबानी जंग बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रही, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी संस्थापक और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बिना पश्चिम बंगाल अपनी प्रासंगिकता खो देगा।
तापस रॉय ने सांसद पर कटाक्ष करते हुए कहा, “अगर सुदीप बंदोपाध्याय ने राजनीति के बजाय एक्टिंग पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो वह दादा साहब फाल्के पुरस्कार जीत सकते थे।”
सुदीप बंदोपाध्याय उन लोगों को बर्दाश्त नहीं कर सकते जो ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी दोनों के फॉलोअर्स हैं।
तापस रॉय की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ”जब हाथी चले बाजार, तो कुत्ते भौंके हजार।”
उन्होंने आगे कहा कि एक पॉपुलर कहावत है कि जब हाथी चले बाजार… मैं और कुछ नहीं कहूंगा। कोई कुछ भी कह सकता है। यह उसकी पसंद पर निर्भर है। आख़िरकार फैसला जनता ही करेगी।
बंदोपाध्याय पर पलटवार करते हुए रॉय ने कहा, ”केवल हाथी होने का दावा करने से कोई हाथी नहीं बन जाता। यदि वह हाथी भी है तो वह ‘सफेद हाथी’ ही है, जो बेकार है। मैं उनसे बहुत पहले ही तृणमूल कांग्रेस से जुड़ गया था।”
उन्होंने दावा किया कि बंदोपाध्याय ने उन्हें पार्टी से अलग-थलग करने की हरसंभव कोशिश की थी। पिछले 15 वर्षों से मुझे बंदोपाध्याय के कारण अपमान और अन्याय का शिकार होना पड़ा है। पहले उन्हें उस बारे में बोलने दीजिए। उन्होंने क्या किया है इसकी मुझे पूरी जानकारी है और समय आने पर मैं उन मुद्दों को उठाऊंगा।