नेउगल नदी में बड़े पैमाने पर अवैध खनन और मलबा और कचरा डालने से जल निकाय का जल प्रदूषण हो गया है और आस-पास के इलाकों में गंभीर पर्यावरणीय गिरावट आई है। पालमपुर के निचले इलाकों के लिए पीने के पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत, नदी अब खतरे में है। जल शक्ति विभाग 100 गांवों को पानी की आपूर्ति करने के लिए 60 योजनाओं के लिए इस नदी से पानी उठा रहा है। हालाँकि जल शक्ति विभाग स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है, लेकिन नदी के पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।
स्थानीय निवासियों के लगातार विरोध के बावजूद, खनन माफिया जेसीबी और पोकलेन मशीनों जैसी भारी मशीनों से पत्थर खनन जारी रखे हुए हैं, जिससे नदी के कुछ हिस्सों में तीन से चार मीटर गहरी खाइयां बन गई हैं।
हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अवैध खनन रोकने के लिए डिप्टी कमिश्नर और पुलिस अधीक्षक को विशेष आदेश जारी किए थे, लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिला। पालमपुर और जयसिंहपुर के निचले इलाकों में माफिया के लिए अवैध खनन बेहद मुनाफे का धंधा बन गया है। पुलिस और खनन विभाग समेत स्थानीय अधिकारी इन अवैध गतिविधियों को नजरअंदाज करते नजर आ रहे हैं।
कांगड़ा में ब्यास की सहायक नदियों और नालों के पास चल रहे कई स्टोन क्रशर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के 2021 के दिशा-निर्देशों के बावजूद महत्वपूर्ण जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहे हैं। ये निर्देश पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत जल निकायों के 100 मीटर के क्षेत्र में स्टोन क्रशर स्थापित करने पर रोक लगाते हैं। हालांकि, जयसिंहपुर और थुरल में कई क्रशर इन मानदंडों का उल्लंघन करते हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता और खराब हो जाती है।
अवैध खनन से निपटने के लिए थुरल में स्थानीय पंचायतों द्वारा किए जा रहे प्रयासों में पुलिस और खनन अधिकारियों से समर्थन की कमी के कारण बाधा उत्पन्न हो रही है। पुलिस और खनन विभाग तथा एसडीएम को की गई कई शिकायतों का कोई नतीजा नहीं निकला है। खनन माफिया राज्य एजेंसियों की शरण में फल-फूल रहा है।
पिछले महीने मुख्यमंत्री ने डिप्टी कमिश्नरों और पुलिस अधीक्षकों की बैठक में अवैध खनन से होने वाले आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान पर विशेष जोर दिया था। उन्होंने अवैध खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए थे। हालांकि, कांगड़ा जिले में इस निर्देश का कोई खास असर नहीं हुआ है।