पश्चिम बंगाल में 26,000 शिक्षकों की नौकरी जाने का मामला तूल पकड़ा हुआ है। शुक्रवार को नौकरी गवां चुके एक शिक्षक चिन्मय मंडल ने शिक्षा मंत्री ब्रत्या बसु से मुलाकात की। उन्होंने मंत्री के साथ हुए चर्चा को सकारात्मक बताया।
शिक्षक चिन्मय मंडल ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया, “शिक्षा मंत्री से बात हो गई। हमारी जो डिमांड थी वह हमने बता दिया है। सकारात्मक तरीके से जो भी हमें बोलना था, उसे हमने बोला है। उन्होंने भी सकारात्मक बात की है। हमने दोषियों व निर्दोषों की लिस्ट को अलग करने और और उसे सर्टिफाइड कर के पब्लिश करने की मांग की थी। इसका एक पॉजिटिव रिप्लाई मिला है। उन्होंने इससे पहले लीगल एडवाइस की बात कही। उन्होंने कहा कि 21 अप्रैल तक हो जाना चाहिए। हमने 22 लाख ओएमआर सीट को अपलोड करने की भी मांग की।”
दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पश्चिम बंगाल में 26,000 शिक्षकों के भर्ती को रद्द कर दिया गया। कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा टीएमसी सरकार पर ही निशाना साधा रही है।
26,000 शिक्षकों की नौकरी खत्म हो जाने के विरोध में बुधवार को कोलकाता में गांधी मूर्ति के पास भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने ममता बनर्जी और उनकी सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। भाजयुमो के अध्यक्ष डॉ. इंद्रनील खान ने कहा कि इन 26,000 शिक्षकों के बेरोजगार होने के लिए ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार ही जिम्मेदार है।
उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने जानबूझकर हजारों युवाओं की नौकरी छीन ली, यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है।
डॉ. इंद्रनील खान ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल में युवाओं की नौकरी छीनने का काम ममता दीदी और उनकी सरकार ने किया है। हजारों लोगों की नौकरी चली गई और इसके लिए सिर्फ और सिर्फ टीएमसी सरकार जिम्मेदार है। ममता बनर्जी और उनके मंत्री, नेता और अधिकारियों ने मिलकर नौकरी छीनने की साजिश की और योग्य और अयोग्य की सूची को अलग नहीं किया, जिससे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन सभी लोगों की नौकरी चली गई। यही कारण है कि आज हम यहां प्रदर्शन कर रहे हैं।”