नई दिल्ली, 13 नवंबर । कनाडा और पाकिस्तान में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा आतंकवादियों की हत्या, जो भारतीय धरती पर हमलों के लिए जिम्मेदार थे, ने भारत और कनाडा के बीच एक बड़े राजनयिक विवाद को जन्म दिया है।
कनाडा और पाकिस्तान में अब तक मारे गए आतंकवादियों में लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफ़िज़ सईद के डिप्टी और जमात-उद-दावा नेता अब्दुल सलाम भुट्टवी, कनाडा स्थित प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर, जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अज़हर का गुर्गा शाहिद लतीफ़ और उसका भाई हारिस हाशिम शामिल हैं।
हालांकि सरकार इन वांछित आतंकवादियों के लिए संघर्ष कर रही थी, लेकिन इन लोगों की हत्या के बाद पाकिस्तान और कनाडा ने भारत सरकार पर आरोप लगाए।
ताजा विवाद कनाडा में एक गुरुद्वारे के बाहर दो नकाबपोश लोगों द्वारा निज्जर की हत्या के बाद शुरू हुआ।
निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच बड़े पैमाने पर राजनयिक विवाद पैदा हो गया।
इस बीच ब्रिटेन में एक और खालिस्तानी आतंकी अवतार सिंह खांडा की मौत हो गई।
इसी तरह भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल एक और आतंकवादी दाऊद मलिक, जिसे वांछित आतंकवादी मौलाना मसूद अज़हर का करीबी सहयोगी माना जाता है, को इस साल अक्टूबर में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा पाकिस्तान की धरती पर मार दिया गया था।
खबरों के मुताबिक, मलिक की पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
मलिक लश्कर-ए-जब्बार का संस्थापक था और भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक अज़हर का करीबी सहयोगी भी था।
पाकिस्तान में उत्तरी वजीरिस्तान के मिराली इलाके में नकाबपोश बंदूकधारियों की गोलीबारी में मलिक की मौत हो गई। मलिक को गोली मारने के बाद नकाबपोश बंदूकधारी मौके से भाग गए थे।
मलिक को गोली मारने की ताज़ा घटना पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के बीच युद्ध के सवाल उठाती है।
पिछले कुछ हफ्तों में भारत में वांछित कई आतंकवादियों को पाकिस्तान में अज्ञात बंदूकधारियों ने मार गिराया है।
11 अक्टूबर को भारत के सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों में से एक और 2016 के पठानकोट आतंकी हमले के मामले में एक प्रमुख साजिशकर्ता शाहिद लतीफ की पाकिस्तान के सियालकोट में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
1 अक्टूबर को लश्कर-ए-तैयबा के पूर्व सदस्य और 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के करीबी सहयोगी मुफ्ती कैसर फारूक भी पाकिस्तान में मारे गए।
यह घटना लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक अन्य मौलवी मौलाना जियाउर्रहमान की हत्या से काफी मिलती-जुलती है।
जून 2021 में पूर्वी पाकिस्तानी शहर लाहौर में भी एक आत्मघाती हमलावर ने लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद के घर के ठीक बाहर एक पुलिस चौकी में अपनी कार घुसा दी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई।
26/11 2008 के मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड सईद घटना के समय अपने घर पर नहीं था।
हालांकि उसका भाई भुट्टवी, जिसने 26/11 के लिए आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया था, इस साल मई में पाकिस्तान में अपनी जेल की कोठरी के अंदर मृत पाया गया था। अधिकारियों ने दावा किया कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।
इसी तरह इसी साल मई में भारत के वांछित खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवार की भी पाकिस्तान के लाहौर में दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
पंजवार प्रतिबंधित खालिस्तान कमांडो फोर्स-पंजवार समूह का नेतृत्व कर रहा था और नशीली दवाओं, हथियारों की तस्करी और अन्य गतिविधियों में शामिल था, जब उसे जुलाई 2020 में यूएपीए अधिनियम के तहत भारत द्वारा आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था।
यहां तक कि इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 के अपहर्ताओं में से एक मिस्त्री जहूर इब्राहिम की 1 मार्च को पाकिस्तान के कराची में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इब्राहिम को कराची अकबर में एक फर्नीचर स्टोर के अंदर दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी।
इब्राहिम ने चार अन्य लोगों के साथ मिलकर 24 दिसंबर, 1999 को आईसी-814 का अपहरण कर लिया था, जब वह नेपाल के काठमांडू से नई दिल्ली जा रहा था। उस पर फ्लाइट हाईजैक करने के बाद भारतीय यात्री रूपिन कात्याल को चाकू मारने का आरोप था।
यहां तक कि जैश-ए-मोहम्मद का शीर्ष नेता और आईसी-814 अपहरण का मास्टरमाइंड युसूफ अज़हर उर्फ मोहम्मद सलीम भी फरवरी 2019 में संगठन के बालाकोट शिविर पर भारतीय वायुसेना के हवाई हमले में मारा गया था।
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि अज़हर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पठानकोट, उरी और पुलवामा हमलों से भी जुड़ा था।
विदेशी धरती पर भारतीय दुश्मनों की हत्याओं के सिलसिले ने संबंधित सरकारों को परेशान कर दिया है।
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