December 29, 2025
Entertainment

जब राजेश खन्ना खुद चाहते थे फिल्में फ्लॉप हों और फिर ‘महबूबा’ ने पूरी कर दी कसर

When Rajesh Khanna himself wanted his films to flop, Mehbooba completed the task.

हिंदी सिनेमा में बहुत कम ही अभिनेताओं ने स्टारडम का असली स्वाद चखा है, जिन्होंने हिट फिल्में देने के साथ लोगों के दिल पर राज किया। ऐसे ही अभिनेता थे राजेश खन्ना, जिनकी एक झलक देखने के लिए फैंस सारी हदें पार कर देते थे। उनके लिए दीवानगी ऐसी थी कि लड़कियां उनके नाम का सिंदूर लगाती थीं, तो कुछ उनकी फोटो के साथ सात फेरे ले लेती थीं।

अभिनेता के नाम की कहावत भी मशहूर हुई कि ‘ऊपर आका, नीचे काका’। उनका स्टारडम ऐसा था कि भिखारी भी शूटिंग लोकेशन के बाहर उनके नाम पर भीख मांगा करते थे।

पंजाब के अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का स्टारडम किसी से नहीं छिपा। अभिनेता ने 3 साल में 17 हिट फिल्में दी थीं। डायरेक्टर-प्रोड्यूसर उन्हें फिल्मों की स्क्रिप्ट सुनाने के लिए उनके घर के नीचे लाइन लगाकर खड़े रहते थे, लेकिन कुछ किस्मत वाले डायरेक्टर और प्रोड्यूसर ही होते थे, जिनकी स्क्रिप्ट पर काका मुहर लगाते थे। अभिनेता फ्लॉप फिल्मों से परेशान होते थे, लेकिन काका इकलौते अभिनेता थे, जो अपनी पॉपुलैरिटी और फिल्मों की वजह से बढ़ती दीवानगी से परेशान हो गए थे और एक समय ऐसा आया कि वे खुद चाहते थे कि कुछ फिल्में फ्लॉप हो।

कहते हैं कि समय कभी एक सा नहीं होता, रात के बाद दिन और दिन के बाद रात जरूर आती है। ऐसा ही कुछ काका के साथ हुआ। साल 1976-77 का समय था, जब राजेश खन्ना की फिल्में फ्लॉप होने लगीं। सिनेमाघर खाली होने लगे, फिल्में अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रही थीं। यासिर उस्मान द्वारा लिखी किताब “द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार” में इस बात का जिक्र है कि लगातार फ्लॉप फिल्में होने की वजह से वे डिप्रेशन में जाने लगे और अपने दुख को भुलाने के लिए ड्रिंक करने लगे।

अभिनेता राजेश खन्ना रात के समय अचानक चीखने लगते थे। उनके मन में आत्महत्या के ख्याल आने लगे थे। “द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार” के मुताबिक अभिनेता समंदर में डूबकर अपनी जान गंवाना चाहते थे। साल 1976 और 1977 अभिनेता के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल समय रहा था। 1976 में हेमा मालिनी के साथ आई उनकी फिल्म ‘महबूबा’ सुपर फ्लॉप रही थी और फिल्म को करियर की आपदा कहा गया। ये वो समय था जब अमिताभ बच्चन का एंग्री यंग मैन का दौर शुरू हो चुका था।

1971 में आई फिल्म ‘आनंद’ में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन दोनों थे, लेकिन सारी पॉपुलैरिटी अमिताभ बच्चन ले गए, जिसके बाद साल 1976 में ‘बंडल बाज,’ 1977 में ‘अनुरोध,’ ‘त्याग,’ ‘कर्म,’ ‘छैला बाबू,’ और ‘चलता पुर्जा’ रिलीज हुई। राजेश खन्ना की बैक टू बैक पांच फिल्में फ्लॉप हो गई थीं। धीरे-धीरे उन्हें फिल्में मिलना कम हो गया, क्योंकि उस समय तक अभिताभ बच्चन और धर्मेंद्र दोनों ही युवाओं की नई पसंद बन चुके थे।

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