January 5, 2025
National

जहां मूर्ति, वहां नमाज नहीं, संवाद से निकले विवादित इबादतगाहों का हल : मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

Where there is idol, there is no namaz, solution to disputed places of worship should emerge through dialogue: Muslim Rashtriya Manch

नई दिल्ली, 3 जनवरी । मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने भारतीय समाज में सांप्रदायिक सौहार्द्र और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऐतिहासिक पहल की है। मंच ने देश के मुसलमानों से अपील की है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राष्ट्रहित में 142 करोड़ लोगों के लिए दिए बयान का सम्मान करते हुए, मुसलमानों को भी बड़ा दिल दिखाते हुए भारत को विकास के रास्ते पर ले जाने का संकल्प लेना चाहिए।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि अदालतें सर्वोपरि हैं, लेकिन विवादित धर्मस्थलों पर संवाद के माध्यम से हल निकाला जाना चाहिए। इससे देश की एकता, अखंडता, सौहार्द, भाईचारा और मेलमिलाप बना रहता है, आपसी रंजिशें नहीं रहती हैं। मंच का आह्वान है कि जहां कहीं भी दो पक्षों के बीच अदालत में झगड़ा चल रहा है, वहां दोनों पक्ष आपसी संवाद कर “आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट” करें तो यह किसी भी सभ्य समाज के लिए बेहतर होगा।

मंच के राष्ट्रीय संयोजक मंडल ने ऐलान किया कि संवाद के जरिए हिंदुओं की ऐतिहासिक इबादतगाहों को पुनर्स्थापित करते हुए काशी, मथुरा और सम्भल जैसी जगहों पर बने विवादित ढांचों को हिंदू समुदाय को संवाद के माध्यम से सौंपने का समर्थन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, मंच ने कहा कि ऐसी मस्जिदें जहां किसी कारणवश नमाज नहीं हो रही हो या जो वीरान पड़ी हों, उन मस्जिदों को मुसलमानों को सौंपा जाए ताकि वे उन्हें पुनः स्थापित कर आबाद कर सकें।

मंच ने इस्लामिक सिद्धांतों के आधार पर यह स्पष्ट किया कि बुतपरस्ती (मूर्ति पूजा) की इजाजत इस्लाम में नहीं है। जिन मस्जिदों में टूटी हुई मूर्तियां पाई गई हैं या जिन स्थानों पर मंदिर होने के ऐतिहासिक, सामाजिक अथवा प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, वहां नमाज पढ़ना इस्लामिक उसूलों के खिलाफ है और यह नमाज के लिए नापाक जगह है। ऐसी जगह नमाज कबूल नहीं होती। मंच ने कुरान और हदीस का हवाला देते हुए कहा कि जबरन कब्जा की गई भूमि पर मस्जिद बनाना इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है।

4 जनवरी को लखनऊ में मंच का बड़ा कार्यक्रम है। उससे ठीक पहले शुक्रवार की सुबह लखनऊ की बैठक पर चर्चा और एजेंडा तय करने के लिए मंच की ऑनलाइन बैठक हुई। जिसमें 20 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेश मिलाकर 70 स्थानों से मंच की बैठक में लोग जुड़े।

बैठक की अध्यक्षता मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने की, जिसमें देश भर के कई छोटे-बड़े मुस्लिम संगठनों और उनके नेताओं ने शिरकत की। इस ऐतिहासिक बैठक में महिला बुद्धिजीवी ग्रुप, सूफी शाह मलंग संगठन, युवा शिक्षा एवं मदरसा संस्थान, विश्व शांति परिषद, भारत फर्स्ट, हिंदुस्तान फर्स्ट हिंदुस्तानी बेस्ट, गौ सेवा समिति, पर्यावरण एवं जनजीवन सुरक्षा संस्थान, जमीयत हिमायतुल इस्लाम, कश्मीरी तहफ्फुज आर्गेनाइजेशन और कश्मीर सेवा संघ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

मंच के सभी राष्ट्रीय संयोजक, प्रांत संयोजक और सह संयोजकों ने बैठक में भाग लिया और मंच के प्रस्तावों का समर्थन किया। सभी वक्ताओं ने इस्लामिक शिक्षाओं और भाईचारे के सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए विवादित इबादतगाहों को हिंदू समुदाय को सौंपने का प्रस्ताव रखा।

मोहम्मद अफजाल ने कहा, “हमारा उद्देश्य समाज में सद्भाव लाना है। भारत को आगे बढ़ने के लिए सामूहिक एकता और विकास की दिशा में काम करना चाहिए। इस आह्वान से हम सांप्रदायिक सौहार्द्र और धार्मिक सहिष्णुता को मजबूत करने के लिए तैयार हैं। हमारा नारा भाईचारा है।”

अबु बकर नकवी ने कहा, ”हमारा मकसद एक-दूसरे के मजहब का सम्मान करना है। यह पहल इस बात का प्रतीक है कि भारत का मुस्लिम समाज देश की प्रगति के रास्ते पर पूरी तरह से समर्पित है। हमें अपने धार्मिक सिद्धांतों और सामाजिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाते हुए देश की भलाई के लिए काम करना चाहिए।”

सैयद रजा हुसैन रिजवी ने कहा, “हमारे समाज को हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का यह कदम हमें भारतीय संस्कृति की रक्षा और विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास को पुनर्स्थापित करने में मदद करेगा। भारतीय संस्कृति सबको जोड़ती है।”

इरफान कच्छोचवी ने कहा, “हमारा संकल्प है कि सच्चाई और सही मार्ग पर बढ़ेंगे, टकराएंगे नहीं, बल्कि, मिलकर चलेंगे। हम इस पहल का समर्थन करते हैं, क्योंकि यह हमारे समाज में सद्भावना और भाईचारे को बढ़ावा देता है। जब हम अपने ऐतिहासिक स्थलों की सच्चाई स्वीकार करते हैं, तब हम भारतीय एकता की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।”

शिराज कुरैशी ने कहा, “मंच का प्रयास भारत को समृद्ध और शांतिपूर्ण बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाने का है। हम इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी धार्मिक स्थल पर जबरन कब्जा नहीं होना चाहिए। इस तरह से नफरतें मिटेंगी और इंसानियत बढ़ेगी।”

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अपने मिशन को और अधिक सशक्त बनाने के लिए भविष्य की एक सुदृढ़ योजना तैयार की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य इस्लाम की वास्तविक शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाना और भारतीय सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण को बढ़ावा देना है। मंच का मानना है कि इस कदम से न केवल मुस्लिम समुदाय, बल्कि समूचे भारतीय समाज में भ्रांतियों को दूर करने और आपसी समझ को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

मंच भारतीय सभ्यता और संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में विशेष कार्य कर रहा है। यह पहल ऐतिहासिक स्मारकों, कलात्मक परंपराओं और साहित्यिक धरोहरों के पुनरुद्धार और संरक्षण पर केंद्रित है। मंच का मानना है कि इन धरोहरों का संरक्षण भारतीय समाज की विविधता और समृद्धि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

ठाकुर राजा रईस ने कहा, “मंच ने “आओ जड़ों से जुड़ो” अभियान के माध्यम से यह संदेश फैलाने का प्रयास किया है कि भारत के हिंदू और मुसलमान अपने पूर्वजों, परंपराओं और सभ्यताओं से एक हैं। यह पहल सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने और साझा सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने का प्रयास है। मंच का मानना है कि भले ही धर्म अलग हों, लेकिन भारत की मिट्टी दोनों समुदायों को एक साझा इतिहास और परंपरा से जोड़ती है। हमारे पूर्वज, जाति, गोत्र, परंपराएं, भाषा आदि सभी सांझी रूप से हिंदुस्तानी थे, हैं, और रहेंगे।”

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