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मोदी सरकार के ‘व्हाइट पेपर’ के सामने क्या टिक पाएगा कांग्रेस का ‘ब्लैक पेपर’?

Will Congress's 'Black Paper' be able to stand in front of Modi Government's 'White Paper'?

नई दिल्ली, 8 फरवरी । संसद के बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि सरकार संसद के दोनों सदनों में श्वेत पत्र लेकर आएगी। इसके जरिए सरकार 2014 से लेकर 2024 तक अपने कार्यकाल के दौरान हुए कामकाजों का लेखा-जोखा सदन के पटल पर रखेगी। इसके साथ ही इस श्वेत पत्र के जरिए पिछली (यूपीए) सरकार के कुप्रबंधन और गलत नीतियों के बारे में भी जानकारी देगी।

बजट सत्र में केंद्र सरकार द्वारा लाए जाने वाले श्वेत पत्र के बारे में बता दें कि यह तरह से सूचनात्मक रिपोर्ट कार्ड होता है। जिसमें सरकार की नीतियों, कामकाजों और अहम मसलों को रेखांकित किया जाता है। खासतौर पर सरकारें ‘श्वेत पत्र’ किसी मसले पर बहस करने, सुझाव लेने या देने के साथ एक्शन के लिए लाती है।

इसके अलावा किसी खास मुद्दे पर परिणाम तक पहुंचने के लिए यह पत्र लाया जाता है। ऐसे में नरेंद्र मोदी सरकार श्वेत पत्र के जरिए यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि आर्थिक रूप से देश 2014 तक कहां था और अब कहां है।

इसके साथ ही 2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को इसमें सूचीबद्ध किया गया है।

नरेंद्र मोदी सरकार के 10 साल के प्रदर्शन पर जारी होने वाले ‘श्वेत पत्र’ का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ‘ब्लैक पेपर’ लेकर आई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को ब्लैक पेपर जारी किया है और केंद्र पर इसके जरिए निशाना साधने की कोशिश की है।

सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर को जारी करते हुए खड़गे ने कहा कि सरकार यह बताने की कोशिश नहीं करेगी की उनके 10 साल के कार्यकाल में कितने लोगों को नौकरी मिली। मनरेगा फंड जारी करने में वह राज्यों के साथ भेदभाव कर रहे हैं।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा केंद्र की सत्ता में है ऐसे में सवाल है कि आज महंगाई पर काबू पाने के लिए उन्होंने क्या किया है।

खड़गे ने सोशल मीडिया के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद वह अपने बारे में बात करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हैं। आज भी उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के बारे में बात नहीं की?

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