रोपड़ जिले के नांगल कस्बे में शिकारियों ने कथित तौर पर एक मादा सांभर की हत्या कर दी। उन्होंने जंगल में गेहूं की खली में विस्फोटक लपेटकर रखा था। जैसे ही जानवर ने गेहूं की खली खाई, विस्फोटक उसके चेहरे पर फट गया और वह एनएफएल अस्पताल की ओर भागी, जहां वह गिर पड़ी। वन्यजीव विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक सांभर की मौत हो चुकी थी।
महज एक महीने पहले, शिकारियों द्वारा कथित तौर पर पीछा किए जाने पर एक सांभर नांगल में एक पेट्रोल पंप के कार्यालय में जा टकराया और चोटों के कारण उसकी मौत हो गई। वन्यजीव विभाग ने जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए गेहूं की खली में विस्फोटक रखने के संदेह में दो प्रवासी मजदूरों को हिरासत में लिया।
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सर्दियों के दौरान नांगल कस्बे के आसपास के जंगलों में अवैध शिकार की घटनाएं बढ़ गई हैं। हाल ही में, एनएफएल की सुरक्षा के लिए तैनात सीआईएसएफ कर्मियों ने अपने क्षेत्र में अवैध शिकारियों की गतिविधियों की सूचना दी थी।
सूत्रों के अनुसार, वन्यजीव विभाग के पास चमकौर साहिब से नांगल तक फैले लगभग 80 किलोमीटर के वन क्षेत्रों में गश्त करने के लिए केवल एक पुराना वाहन है। इसी वाहन का उपयोग जिले भर में गश्त और घायल जंगली जानवरों को बचाने के लिए किया जाता है। पशु अधिकार कार्यकर्ता प्रभात भट्टी के अनुसार, रोपड़ में वन्यजीव विभाग के पास उपलब्ध बुनियादी ढांचा और जनशक्ति शिकार रोकने के लिए घोर अपर्याप्त है। उन्होंने आरोप लगाया, “राज्य में वन्यजीवों की रक्षा के प्रति सरकार असंवेदनशील प्रतीत होती है, क्योंकि शिकार रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।”
रोपड़ की वन्यजीव विभाग की अधिकारी मोनिका यादव से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि जिले के निर्धारित वन्यजीव अभ्यारण्यों में अवैध शिकार रोकने की जिम्मेदारी वन्यजीव विभाग की है, जबकि अन्य वन क्षेत्रों में अवैध शिकार रोकना प्रादेशिक वन विभाग का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, “हमने उन्हें पत्र लिखकर जिले भर के वन्यजीव अभ्यारण्यों के बाहर के वन क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने का निर्देश दिया है ताकि अवैध शिकार पर रोक लगाई जा सके।”
सूत्रों ने बताया कि रोपड़ के वन्यजीव अधिकारियों ने सरकार को पत्र लिखकर जिले में गश्त करने और अवैध शिकार पर रोक लगाने के लिए एक और वाहन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। जिले में प्रादेशिक और वन्यजीव विभाग बुनियादी ढांचे, कर्मचारियों की कमी और अस्पष्ट प्रादेशिक क्षेत्राधिकार जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, ऐसे में रोपड़ जिले में शिकारी जंगली जानवरों का बेरोकटोक शिकार कर रहे हैं।


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