हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएच) में विधि विभाग की पूर्व डीन एवं विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका पिछले आठ दिनों से विश्वविद्यालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरना दे रही हैं।
उन्होंने दावा किया कि 2 अक्टूबर को विश्वविद्यालय के विधि विभाग में उन्हें आवंटित उनके कमरे में चोरी हो गई। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर मानसिक उत्पीड़न का भी आरोप लगाया।
जुलाई में डॉ. मोनिका के स्थान पर विधि विभाग के एक एसोसिएट प्रोफेसर को विभागाध्यक्ष और डीन के पद पर नियुक्त किया गया था, क्योंकि उच्च न्यायालय ने एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर उनकी सहित दो नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी और आदेश दिया था कि अगले आदेश तक उन्हें कोई पारिश्रमिक या वेतन नहीं दिया जाएगा।
डॉ. मोनिका ने कहा, “मुझे 2019 में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया और बाद में मुझे प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गया। इस संबंध में सीयूएच अधिकारियों और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सूचित करने के बाद मैं 17 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरने पर हूं। यह सच है कि मेरी नियुक्ति पर न्यायालय ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं अब विश्वविद्यालय की कर्मचारी नहीं हूं क्योंकि मामला अभी भी विचाराधीन है और अंतिम फैसला आना बाकी है। अधिकारी मुझे विभिन्न बहानों से मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं।”
प्रदर्शनकारी शिक्षिका ने आरोप लगाया कि अधिकारियों के कहने पर उनके कमरे का ताला तोड़ा गया और उनका निजी सामान चोरी कर लिया गया। उन्होंने कहा, “मैंने इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।”
महेंद्रगढ़ सदर पुलिस स्टेशन के एसएचओ युद्धवीर सिंह ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और शिकायतकर्ता शिक्षिका से यह प्रमाण प्रस्तुत करने को कहा गया है कि यह कमरा उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आवंटित किया गया था।
एसएचओ ने कहा, “सीयूएच अधिकारियों ने लिखित बयान दिया है कि यह कमरा डॉ. मोनिका को कभी आवंटित नहीं किया गया था। यह 31 जुलाई से बंद था। फर्नीचर और अन्य सामान 2 अक्टूबर को दूसरे कमरे में स्थानांतरित कर दिए गए थे। अधिकारियों ने शिफ्टिंग की कार्रवाई की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराई है।” उन्होंने कहा कि डॉ. मोनिका से आवश्यक दस्तावेज मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
शिकायतकर्ता के सभी आरोपों का खंडन करते हुए सीयूएच के रजिस्ट्रार प्रोफेसर सुनील कुमार ने ट्रिब्यून से कहा कि डॉ. मोनकिया की नियुक्ति का मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। उन्होंने विधि विभाग में किसी भी तरह की चोरी की घटना से भी इनकार किया।