मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयागराज महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं ने मंगलवार को आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ नगर में अमृत स्नान के दौरान समूचा क्षेत्र ‘जय श्री राम’, ‘हर हर गंगे’, और ‘बम बम भोले’ के जयकारे से गूंज उठा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मकर संक्रांति महापर्व पर महाकुंभ में प्रथम अमृत स्नान में शामिल सभी श्रद्धालुओं को बधाई दी।
इसके साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया प्लटेफॉर्म पर महाकुंभ की कुछ तस्वीरें भी शेयर की। पीएम मोदी ने महाकुंभ को भक्ति और अध्यात्म का अद्भुत संगम बताया।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”महाकुंभ में भक्ति और अध्यात्म का अद्भुत संगम! मकर संक्रांति महापर्व पर महाकुंभ में प्रथम अमृत स्नान में शामिल सभी श्रद्धालुओं का हार्दिक अभिनंदन।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “यह हमारी सनातन संस्कृति और आस्था का जीवंत स्वरूप है। आज लोक आस्था के महापर्व ‘मकर संक्रांति’ के पावन अवसर पर महाकुंभ-2025, प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में प्रथम ‘अमृत स्नान’ कर पुण्य अर्जित करने वाले सभी श्रद्धालु जनों का अभिनंदन!”
वहीं, एक अन्य पोस्ट में सीएम योगी ने लिखा, ”आस्था का महासिंधु-एकता का महाकुंभ, तीर्थराज प्रयाग में आज महाकुंभ के प्रथम ‘अमृत स्नान’ और मकर संक्रांति के पावन अवसर पर सभी अखाड़ों और घाटों पर पुष्प वर्षा सनातन संस्कृति का वंदन, श्रद्धा का अभिनंदन और आस्था को नमन है।”
महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान का शुभारंभ मकर संक्रांति के पावन अवसर पर हुआ। संगम के त्रिवेणी तट पर लाखों श्रद्धालुओं और साधु-संतों का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस ऐतिहासिक अवसर पर स्नान कर श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था को नया आयाम दिया।
स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने घाट पर ही अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना की। इस पूजन में तिल, खिचड़ी और अन्य पूजन सामग्रियों का उपयोग किया गया। श्रद्धालुओं ने तिल और खिचड़ी का दान कर धर्म लाभ प्राप्त किया। दान-पुण्य के इस क्रम ने पर्व को और पवित्र बना दिया।
मकर संक्रांति के इस पावन दिन संगम के घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। आस्था और उल्लास का ऐसा नजारा था, जिसने हर किसी के मन को भावविभोर कर दिया। स्नान के दौरान हर कोई अपने जीवन को पवित्र और सुखमय बनाने की प्रार्थना करता दिखा।
स्नान के दौरान श्रद्धालुओं ने सूर्य को अर्घ्य देकर पुण्य और मोक्ष की कामना की। मकर संक्रांति भगवान सूर्य को ही समर्पित पर्व है। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और दिन लंबे और रात छोटी होने लगती है। स्नान के दौरान ही कई श्रद्धालुओं ने गंगा आरती की। वहीं, श्रद्धालुओं ने घाट पर ही मकर संक्रांति का पूजन-अर्चन किया और तिल-खिचड़ी का दान कर पुण्य कमाया।
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