करनाल, 13 अगस्त करनाल में लिपिक कर्मचारियों की हड़ताल के कारण सरकारी कार्यालय लगभग ठप्प हो गए हैं, जिससे उनमें सन्नाटा पसरा हुआ है और लोगों को अपना काम कराए बिना ही घर लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है।
वेतन वृद्धि समेत अपनी पुरानी मांगों को लेकर लिपिक संघ कल्याण सोसायटी, हरियाणा के बैनर तले सोमवार को हड़ताल शुरू हुई। लिपिक कर्मचारियों ने पिछले साल 5 जुलाई से 15 अगस्त तक 42 दिनों तक धरना भी दिया था।
वे अपने वेतनमान को 21,700 रुपये से बढ़ाकर 35,400 रुपये करने की मांग कर रहे हैं, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा दिए गए आश्वासन को लागू करने की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने पिछले साल हड़ताल के 42 दिनों में से 35 दिनों को कार्य दिवस और शेष सात दिनों को अवकाश मानने का वादा किया था। आश्वासन के बावजूद, मांगें पूरी नहीं हुई हैं, जिसके कारण मौजूदा हड़ताल हो रही है।
एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष प्रदीप कुमार परजापति ने सरकार की निष्क्रियता पर रोष व्यक्त किया। परजापति ने कहा, “हम 35,400 रुपये वेतनमान की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमारी मांग अनसुनी कर दी गई, जिसके कारण हमें तीन दिनों की हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ा।”
शहर में लघु सचिवालय के बाहर धरना देते हुए उन्होंने अतिरिक्त मांगों पर प्रकाश डाला, जैसे आठ वर्ष के बाद सुनिश्चित कैरियर पदोन्नति, सभी रिक्त पदों को भरना तथा अनुग्रह राशि योजना के तहत कर्मचारियों की विधवाओं को कंप्यूटर टेस्ट से छूट देना।
हड़ताल का असर शिक्षा, राजस्व, लोक निर्माण विभाग (बीएंडआर), कृषि, परिवहन और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) समेत अन्य विभागों में देखने को मिला। हड़ताल के पहले दिन इन विभागों में व्यवधान देखने को मिला।
संजय कुमार नामक निवासी ने कहा, “मुझे जिला शिक्षा विभाग में कुछ जरूरी काम था, लेकिन हड़ताल के कारण मुझे वापस लौटना पड़ रहा है।”
राजस्व विभाग गए एक अन्य निवासी अमित कुमार ने बताया कि क्लर्कों के हड़ताल पर होने के कारण उन्हें बिना काम के लौटना पड़ा।
हिसार में विरोध प्रदर्शन लिपिक कर्मचारियों ने सोमवार को हिसार में लघु सचिवालय के बाहर अपनी तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी। हड़ताल में बड़ी संख्या में लिपिक कर्मचारियों के भाग लेने के कारण सरकारी कार्यालयों में काम प्रभावित हुआ। कर्मचारी नेता कुलदीप गोदारा ने कहा कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो हड़ताल को आगे भी बढ़ाया जा सकता है
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