धर्मशाला, 14 अगस्त क्षय रोग (टीबी) के निदान में होने वाली देरी को कम करने के लिए धर्मशाला में जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और झिपगो संस्थान के सहयोग से क्षय रोग कार्यान्वयन रूपरेखा समझौते (टीआईएफए) परियोजना के तहत किया गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ राजेश गुलेरी ने की और इसमें आयुष विभाग, जिला केमिस्ट एसोसिएशन, सहायक औषधि नियंत्रक, ग्रामीण क्षेत्रों के डॉक्टर, औषधि निरीक्षक, सभी ब्लॉकों के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी और एसटीएस ने भाग लिया। सीएमओ ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य जिले में टीबी की पहचान और निदान को मजबूत करना है।
डॉ. गुलेरी ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के आयुष सेवा प्रदाताओं, ग्रामीण क्षेत्रों के केमिस्ट और डॉक्टरों को शामिल किया जा रहा है। डॉ. गुलेरी ने कहा, “अधिकांश लोग आमतौर पर लक्षणों को अनदेखा कर देते हैं। टीबी के लक्षण दिखने पर लोग आमतौर पर केमिस्ट, आयुष डॉक्टर और नजदीकी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से मदद लेते हैं, जिससे इलाज में देरी होती है।”
उनके अनुसार, TIFA एक अनूठी योजना है और हिमाचल प्रदेश पहला राज्य है जहाँ इसे शुरू किया जा रहा है। जिला टीबी कार्यक्रम अधिकारी डॉ राजेश सूद ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य निजी और सार्वजनिक आयुष प्रदाताओं, केमिस्टों और ग्रामीण स्वास्थ्य डॉक्टरों को एकीकृत करके टीबी के निदान में देरी को कम करना है।
Leave feedback about this