विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना (एचपी एचडीपी) ने सेब की उत्पादकता और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया है। परियोजना की अंतिम प्रभाव आकलन रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना ने सेब की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए इसे ‘अत्यधिक संतोषजनक’ बताया है। जहाँ तक बागवानों के लिए बाज़ार पहुँच बढ़ाने की बात है, जो इस परियोजना का एक अन्य उद्देश्य है, रिपोर्ट में इस परियोजना को ‘मध्यम रूप से संतोषजनक’ बताया गया है।
अंतिम प्रभाव विश्लेषण सर्वेक्षण के अनुसार, पुनर्जीवित सेब बागों में उत्पादकता में 25.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2017 में किए गए वृक्षारोपण में, 2023 में उत्पादकता में 20 गुना वृद्धि दर्ज की गई। उत्पादकता 2.7 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर लगभग 40 टन प्रति हेक्टेयर हो गई।
रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना के माध्यम से बागवानों को 34.2 लाख से अधिक उच्च गुणवत्ता वाली पौध सामग्री उपलब्ध कराई गई है। उत्पादकता में वृद्धि के अलावा, इस परियोजना के परिणामस्वरूप फलों की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है, “उच्च गुणवत्ता वाली पौध सामग्री और तकनीकी प्रशिक्षण से ग्रेड ए सेब के उत्पादन में 30 प्रतिशत और ग्रेड बी सेब के उत्पादन में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। परियोजना से पहले की तुलना में ग्रेड सी सेब के उत्पादन में 46 प्रतिशत की कमी आई है।”
रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना ने कृषि उपज की बढ़ी हुई मात्रा और घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ताओं तक इसके वितरण को संभालने के लिए बुनियादी ढाँचे में सुधार किया। रिपोर्ट में कहा गया है, “बाज़ार तक पहुँच को सुगम बनाने के लिए, परियोजना ने सीए स्टोर्स का आधुनिकीकरण और पैकिंग हाउसों का उन्नयन, ई-ट्रेडिंग के साथ थोक बाज़ार यार्डों की स्थापना, एफपीसी को बढ़ावा देने और कृषि उद्यमों की स्थापना जैसे कार्य किए।” कृषि व्यवसाय संवर्धन सुविधा के अंतर्गत, 24 एकीकृत छंटाई और ग्रेडिंग पैकिंग इकाइयों, कोल्ड स्टोर और 19 फल प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा दिया गया है


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