April 24, 2024
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वैश्विक संकट के कारण भारत को ऋण सहायता सीमित करनी पड़ी: पीएम विक्रमसिंघे

कोलंबो, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि भारत को यूक्रेन-रूस युद्ध सहित हालिया वैश्विक संकट के मद्देनजर संकटग्रस्त द्वीप राष्ट्र को दी जाने वाली ऋण सहायता को सीमित करना पड़ा।

विक्रमसिंघे ने सोमवार को संसद को संबोधित करते हुए कहा, “हाल के वैश्विक संकटों के कारण, यह स्थिति और विकट हो गई है और हम, जो फ्राइंग पैन में थे, अब ओवन में गिर गए हैं। यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण, हमारी समस्या और बढ़ गई है। अब जो हुआ है वह हमारे संकट के शीर्ष पर एक अंतरराष्ट्रीय संकट का ही एक जोड़ है।”

उन्होंने कहा, “यह स्थिति हमारे लिए अद्वितीय नहीं है। इसने अन्य देशों को भी प्रभावित किया है। भारत और इंडोनेशिया भी इस वैश्विक संकट से प्रभावित हैं। इसलिए, भारत ने हमें जो ऋण सहायता दी है, उसे सीमित करना पड़ा है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, चीन और जापान को एक साथ लाने के लिए एक दाता-सहायता सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जो कि मित्र देशों ने 1948 में अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट के मद्देनजर श्रीलंका की मदद की है।

सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है, क्योंकि देश आईएमएफ निदेशक मंडल की मंजूरी के बाद चार साल का व्यापक ऋण सहायता कार्यक्रम तैयार कर रहा है।

विक्रमसिंघे ने चेतावनी दी कि पिछले अवसरों के विपरीत जहां श्रीलंका ने एक विकासशील देश के रूप में आईएमएफ के साथ बातचीत की थी, अब यह ‘एक दिवालिया देश के रूप में बातचीत’ में है।

उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था फिलहाल सिकुड़ रही है और केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा आर्थिक विकास दर नकारात्मक चार और नकारात्मक पांच के बीच है।

उन्होंने कहा, “आईएमएफ के आंकड़ों के अनुसार, यह नकारात्मक छह और नकारात्मक सात के बीच है। यह एक गंभीर स्थिति है। यदि हम इस रोड मैप के साथ एक निर्धारित यात्रा करते हैं, तो हम 2023 के अंत तक नकारात्मक की आर्थिक विकास दर प्राप्त कर सकते हैं।”

श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “2025 तक, हमारा लक्ष्य प्राथमिक बजट में अधिशेष (सरप्लस) बनाना है। हमारा प्रयास आर्थिक विकास दर को स्थिर स्तर तक बढ़ाने का है। हमारी उम्मीद 2026 तक एक स्थिर आर्थिक आधार स्थापित करने की है।”

प्रधानमंत्री के मुताबिक, श्रीलंका को इस साल जून से दिसंबर के बीच 3.4 अरब डॉलर, 2023 में 5.8 अरब डॉलर, 2024 में 4.9 अरब डॉलर, 2025 में 6.2 अरब डॉलर, 2026 में 4.0 अरब डॉलर और 2027 में 4.3 अरब डॉलर का भुगतान करना होगा।

उन्होंने कहा कि 2021 के अंत में सरकार का कुल कर्ज का बोझ 17.5 खरब एलकेआर था और मार्च 2022 तक यह बढ़कर 21.6 खरब एलकेआर हो गया।

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