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यासीन मलिक ने हाफिज सईद से मुलाकात को कबूला, अमित मालवीय ने तत्कालीन यूपीए सरकार को घेरा

Yasin Malik confesses to meeting Hafiz Saeed, Amit Malviya attacks the then UPA government

टेरर फंडिंग केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के आतंकवादी यासीन मलिक के 25 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक हलफनामे को लेकर भाजपा आईईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने यूपीए सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के आतंकवादी यासीन मलिक ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। 25 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक हलफनामे में मलिक ने कहा है कि उसने 2006 में पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से मुलाकात की थी।

इस पर भाजपा आईईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, ”अगर यासीन मलिक के दावे सच हैं तो ये यूपीए सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा और गुप्त कूटनीति से जुड़े मुद्दे से निपटने के तरीके पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। यासीन मलिक की यह मुलाकात स्वतंत्र पहल नहीं थी, बल्कि वरिष्ठ भारतीय खुफिया अधिकारियों के अनुरोध पर एक गुप्त शांति प्रक्रिया के तहत आयोजित की गई थी। मुलाकात के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने व्यक्तिगत रूप से उसे धन्यवाद दिया और उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की थी।”

उन्होंने लिखा, ”यासीन मलिक एक दुर्दांत आतंकवादी है जो वर्दीधारी तीन वायुसेना कर्मियों की गोली मारकर हत्या करने का दोषी है। यह देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के समान है और उसे कानून की पूरी ताकत के अधीन किया जाना चाहिए।”

हलफनामे के मुताबिक, मलिक ने कहा है कि जहां तक 2006 में पाकिस्तान में हाफिज सईद के साथ मेरी मुलाकात का सवाल है, मैंने ट्रायल कोर्ट के जज को सूचित किया था कि कश्मीर के दोनों हिस्सों में आए भूकंप, जिसमें एक लाख से ज्यादा कश्मीरी मारे गए थे, के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मानवीय सहायता और राहत कार्य के लिए मुझे पाकिस्तान जाना है।

आईबी के तत्कालीन विशेष निदेशक वीके जोशी ने नई दिल्ली में मुझसे मुलाकात की थी और अनुरोध किया कि अगर मैं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, हाफिज सईद और पाकिस्तान के अन्य चरमपंथी नेताओं के साथ बातचीत कर सकूं तो यह कश्मीर मुद्दे पर शांति प्रक्रिया में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए मददगार साबित होगा।

यासीन मलिक के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में हुए बम विस्फोट को देखते हुए मुझे हाफिज सईद और पाकिस्तान के अन्य चरमपंथी नेताओं से मुलाकात के लिए यह कहा गया था कि चरमपंथ और शांति वार्ता एक साथ नहीं चल सकतीं। इसके बाद वीके जोशी के अनुरोध पर उसने हाफिज सईद से मुलाकात की थी। यूनाइटेड जिहाद काउंसिल की उपस्थिति में आयोजित एक समारोह में मंच से मैंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अल्लाह के अंतिम दूत पैगंबर मोहम्मद के अनुयायियों के रूप में हमें उनके उपदेशों का सबसे शुद्ध तरीके से पालन करना चाहिए।

हलफनामे के मुताबिक, हाफिज सईद से मुलाकात के बाद जब यासीन मलिक पाकिस्तान से नई दिल्ली लौटा तो वीके जोशी डीब्रीफिंग प्रक्रिया के तहत होटल में उससे मिले और प्रधानमंत्री को तुरंत जानकारी देने का अनुरोध किया।

यासीन ने बताया कि उसी शाम वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिला, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनके नारायण भी मौजूद थे। तत्कालीन पीएम ने मेरे प्रयासों, समय, धैर्य और समर्पण के लिए आभार व्यक्त किया, लेकिन दुर्भाग्यवश हाफिज सईद और पाकिस्तान के अन्य चरमपंथी नेताओं के साथ उसकी बैठक, जो वीके जोशी के अनुरोध पर अंजाम दी गई थी, को उसके खिलाफ एक अलग तरीके से पेश किया गया। उसके साथ विश्वासघात किया गया था। जहां शांति वार्ता को मजबूत करने के लिए काम करने के बावजूद मुझे आदर्श रूप से शांति और सद्भाव के दूत के रूप में देखा जाना चाहिए था, वहां उसे संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने से ठीक पहले इस बैठक के 13 साल बाद, उस बैठक को नजरअंदाज कर दिया गया।

मलिक ने कहा कि अगर पाकिस्तान जाने का उसका इरादा नापाक होता तो वह कभी कानूनी रूप से पाकिस्तान की यात्रा नहीं करता और न अंतरराष्ट्रीय प्रेस की उपस्थिति में मंच पर नेताओं से मिलता।

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