लखनऊ, 12 अप्रैल । अपने यहां कहा जाता है, “जिसने जन्म दिया, वही रोटी का भी इंतजाम करेगा।” यह ऊपरवाले पर मुकम्मल भरोसे के साथ इस बात की ओर भी संकेत करता है कि अगर अपने इष्टदेवों से जुड़े स्थलों को सजाया जाए, वहां आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा एवं सुविधा के मद्देनजर बुनियादी सुविधाएं विकसित कर दी जाएं तो वहां भारी संख्या में रोजी-रोजगार के अवसर स्थानीय और आसपास के लोगों को उपलब्ध होते हैं। यह राम को रोटी से जोड़ने जैसा है।
इसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सच साबित कर दिया। आज शिव की अविनाशी काशी और राम की अयोध्या पर्यटकों की आमद के मद्देनजर लाखों लोगों की रोजी-रोटी का जरिया बन गए हैं। कमोबेश यही स्थिति अन्य तीर्थ स्थलों की भी है।
तीर्थराज प्रयाग में आयोजित महाकुंभ में तो इसका चरमोत्कर्ष दिखा। सरकार का अनुमान था कि करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले विश्व के इस सबसे बड़े धार्मिक समागम में करीब 35 से 40 करोड़ श्रद्धालु एवं पर्यटक शामिल होंगे, लेकिन शामिल हुए 66 करोड़ से अधिक लोग। इनमें से बहुतों की मंजिल सिर्फ प्रयागराज ही नहीं, काशी, अयोध्या, वनगमन के दौरान भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता सहित राम को निषादराज ने गंगा पार कराया था, वहीं श्रृंगवेरपुर और वनगमन के दौरान राम ने मंदाकिनी के तट पर जिस चित्रकूट में सर्वाधिक समय गुजारा था, वह भी थी। कई लोगों ने विंध्याचल स्थित मां जगदंबा के दरबार में भी हाजिरी लगाई।
अब एक पर्यटक ने औसतन इस दौरान कितना खर्च किया। इस खर्च का कितना लाभ इस सेक्टर्स से जुड़े स्टेकहोल्डर्स और स्थानीय लोगों को मिला। केंद्र और राज्य सरकार के हिस्से में प्रयागराज के महाकुंभ, काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर और राम मंदिर एवं अयोध्या के कायाकल्प पर हुए खर्च की तुलना में कितना लाभ हुआ, यह अर्थशास्त्र के जानकारों के लिए अनुमान का विषय है।
यह निर्विवाद सच है कि पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं की बढ़ती आमद से लाभ में सब रहे। साथ ही इसने उत्तर प्रदेश के लिए संभावनाओं का एक नया और बड़ा दरवाजा खोल दिया, क्योंकि, बहुसंख्यक समाज के रोम-रोम में बसने वाले राम की अयोध्या, तीनों लोकों से न्यारी शिव की काशी और राधा कृष्ण की जन्म भूमि, ग्वाल बालों और गोपियों के साथ लीला के स्थल ब्रज उत्तर प्रदेश में हैं। इन सभी जगहों की संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार यहां आने वालों की सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से लगातार काम भी कर रही है।
इसका नतीजा है कि पर्यटकों की आमद के हिसाब से उत्तर प्रदेश लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। 2022 से ही घरेलू पर्यटकों के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक पर बना हुआ है। सरकार के आंकड़ों पर गौर करें तो 2017 में उत्तर प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या मात्र 24 करोड़ थी, जो 2024 में बढ़कर 65 करोड़ हो गई। आठ वर्षों में 41 करोड़ की यह वृद्धि खुद में अभूतपूर्व है। स्वाभाविक है कि महाकुंभ के नाते 2025 एक नया रिकॉर्ड रचेगा। यह संख्या एक अरब के ऊपर तक जा सकती है।
पंजाब, हरियाणा और दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 60 प्रतिशत से अधिक घरेलू यात्राएं धार्मिक स्थलों की होती हैं। धार्मिक पर्यटन आर्थिक उन्नति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं का अधिकतम लाभ लेने के लिए ऐसी सभी जगहों को बेहतरीन बुनियादी सुविधाओं, सड़क और एयर कनेक्टिविटी, आने वालों की सुरक्षा और सेवा देनी होती है। यह सारा काम उत्तर प्रदेश सरकार पूरी संजीदगी से कर रही है।
यह सब यूं ही नहीं हुआ। इसकी पृष्ठभूमि मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तभी से शुरू हो गई थी। उस समय अयोध्या जाना तो दूर की बात, कोई नेता अयोध्या का नाम तक नहीं लेना चाहता था। उस अयोध्या में वह बार-बार गए। हर बार उन्होंने अयोध्या को विकास की बड़ी सौगात दी। दीपावली के एक दिन पूर्व भव्य दीपोत्सव आयोजन कराया। इससे एक बार फिर देश-दुनिया में राम को मानने वालों का ध्यान अयोध्या की ओर गया।
राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने और मंदिर का शिलान्यास होने के बाद तो केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या के कायाकल्प के लिए खजाने का मुंह खोल दिया। मुख्यमंत्री की मंशा अयोध्या को दुनिया की सबसे खूबसूरत पर्यटन नगरी बनाने की है। इसे वे कई बार सार्वजनिक मंचों से भी कह चुके हैं। उसी मंशा के अनुरूप अयोध्या में लगातार काम भी हो रहे हैं। काशी, प्रयाग, ब्रज क्षेत्र पर भी उनका इसी तरह फोकस है।