January 30, 2025
Himachal

जैदी ने सूरज की मौत के बारे में तथ्य छिपाए: सीबीआई अदालत

Zaidi hid facts about Sooraj’s death: CBI court

सीबीआई कोर्ट, चंडीगढ़ की विशेष न्यायाधीश अलका मलिक ने कोटखाई में हिरासत में हुई मौत के मामले में आठ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए कहा कि हिरासत में सूरज सिंह की मौत के अगले दिन एसआईटी प्रमुख आईजीपी जहूर एच जैदी ने तथ्यान्वेषण जांच करने के लिए 19 जुलाई, 2017 को पुलिस स्टेशन, कोटखाई का दौरा किया और घटना के बारे में कांस्टेबल दिनेश से भी पूछताछ की।

मंगलवार को उपलब्ध कराए गए विस्तृत आदेश में अदालत ने कहा कि कांस्टेबल दिनेश उस रात संतरी ड्यूटी पर था जब पीड़िता की मौत हुई। जैदी ने अपने मोबाइल फोन में दिनेश का बयान रिकार्ड किया, जिसने सूरज सिंह की मौत तक की पूरी घटना क्रम उन्हें बताया।

कांस्टेबल दिनेश का बयान अपने मोबाइल में रिकार्ड करने के बाद जैदी ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय कांस्टेबल दिनेश को ही फटकार लगा दी।

अदालत ने कहा कि दिनेश के साक्षात्कार की प्रतिलिपि तथा इस अदालत द्वारा सुनी गई ऑडियो रिकॉर्डिंग से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि दिनेश ने साक्षात्कार के समय जैदी को सही तथ्य बताए हैं।

दिनेश ने अपने साक्षात्कार में जैदी को यह कहीं नहीं बताया कि सूरज सिंह की मौत लॉकअप में एक अन्य गिरफ्तार व्यक्ति के साथ हाथापाई के कारण हुई थी, बल्कि उसने जैदी को यह बताया कि उसे पूछताछ के लिए ऊपर ले जाया गया था और वहां से उसे बेहोशी की हालत में लाया गया था।

जैदी द्वारा अभियोजन पक्ष के गवाह 41 (डीजीपी) को यह महत्वपूर्ण जानकारी न बताना स्पष्ट रूप से साजिश में उनकी संलिप्तता की ओर इशारा करता है और यह भी स्थापित करता है कि उन्होंने और अन्य आरोपियों ने वास्तव में गुड़िया बलात्कार और हत्या मामले में गिरफ्तार व्यक्तियों से कबूलनामा करवाने के लिए साजिश रची थी, जिसके लिए उन्हें हिरासत में यातना का सहारा लेना पड़ा।

जब उनमें से एक सूरज सिंह की हिरासत में यातना के कारण मृत्यु हो गई, तो उन सभी ने वास्तविक तथ्यों को छिपाने और अभिलेखों में हेराफेरी करने की पुनः साजिश रची।

अदालत का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह साबित होता है कि सूरज सिंह की मौत शारीरिक यातना के कारण हुई थी, न कि आरोपी राजिंदर के साथ हाथापाई के कारण, जैसा कि एफआईआर में बताया गया है। अदालत ने आदेश में यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड पर लाए गए तथ्यों और सबूतों से यह साबित होता है कि गुड़िया बलात्कार और हत्या मामले के दोषियों को गिरफ्तार करने के लिए हिमाचल प्रदेश की पुलिस पर बहुत दबाव था।

इसलिए उन्होंने संदिग्धों को उठाकर उनसे पूछताछ की है। इस पूछताछ के दौरान उन्होंने मारपीट और यातनाएं भी दी हैं।

13 जुलाई 2017 को शाम 4.30 बजे बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जैदी ने कहा कि वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, इस तथ्य को साबित करने के लिए इस अदालत के सामने कोई वैज्ञानिक सबूत पेश नहीं किया गया है।

बल्कि, अभियोजन पक्ष के सभी साक्ष्य केवल एक तथ्य की ओर इशारा कर रहे हैं कि आरोपी पुलिसकर्मियों ने 13 जुलाई, 2017 को पांच व्यक्तियों की गिरफ्तारी को सही ठहराने के लिए थर्ड डिग्री टॉर्चर और मारपीट का सहारा लिया था। चूंकि एसआईटी के प्रमुख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसा कहा था, इसलिए आरोपी व्यक्तियों ने गिरफ्तार व्यक्तियों से कबूलनामा करवाने की साजिश रची। अदालत ने कहा कि इस मामले में अपराध करने की आपराधिक साजिश बहुत स्पष्ट रूप से स्थापित है।

सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में आईजीपी जैदी, डीएसपी मनोज जोशी, एसआई राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, सूरत सिंह, हेड कांस्टेबल रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रंजीत स्टेटा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई ह

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