उपज की खरीद न होने और उठान की धीमी गति के कारण न केवल मंडियों में जगह की कमी हो गई है, बल्कि पकी हुई फसल की कटाई में भी देरी हो रही है।
किसानों को डर है कि और देरी होने से नमी की मात्रा और खाद्यान्न के वजन में कमी आ सकती है।
मकसूदा मंडी में अपनी फसल बेचने आए भोगपुर के हरदेव सिंह ने बताया कि 12 एकड़ में लगी उनकी फसल अभी तक कटी नहीं है और धान की फसल में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, “हम बुरी तरह फंस गए हैं और कोई रास्ता नहीं है।”
अनाज मंडियों में ज़्यादातर किसान बस यही पूछते हैं कि “झोना काटकर रखना किथे?” उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने लंबी अवधि वाली किस्में बोई हैं, वे अभी भी इंतज़ार कर सकते हैं, लेकिन दूसरों के लिए यह मुश्किल स्थिति है।
नकोदर के विनीत कुमार ने कहा, “मैं उठान शुरू होने का इंतजार कर रहा हूं। मंडियों में जगह नहीं है। पकी हुई फसल का वजन कम होना तय है।”