अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की संपत्तियों पर कब्जे के बढ़ते मामलों का मुद्दा उठाते हुए, राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने केंद्र सरकार से संसद के चल रहे बजट सत्र के दौरान अनिवासी भारतीयों के हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने का आग्रह किया है।
संसद के बजट सत्र के दौरान बोलते हुए संधू ने कहा, “हाल के दिनों में एनआरआई की संपत्तियों पर कब्ज़ा करने के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिससे समुदाय में डर का माहौल पैदा हो गया है। नतीजतन, एनआरआई अपनी संपत्तियां बेचने के लिए मजबूर हैं, जो उनके और उनकी मातृभूमि के बीच एकमात्र संपर्क है।”
इस मामले को गंभीर प्रकृति का बताते हुए सांसद संधू ने कहा कि अब समय आ गया है कि एक मजबूत तंत्र बनाया जाए जो इस मुद्दे से संबंधित बढ़ती चुनौतियों से निपट सके।
उन्होंने कहा कि एनआरआई समुदाय को यह आश्वासन दिलाने के लिए विश्वास बहाली के उपाय किए जाने की आवश्यकता है कि उनकी पैतृक संपत्ति या मातृभूमि में उनकी भूमि सरकार द्वारा संरक्षित है।
गौरतलब है कि केंद्रीय विदेश मंत्रालय के रिकार्ड के अनुसार पिछले साढ़े तीन वर्षों में 18 राज्यों से संपत्ति विवादों के बारे में एनआरआई से 140 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें से सबसे अधिक 22 शिकायतें तमिलनाडु से संबंधित हैं, जबकि उत्तर प्रदेश से 18 और दिल्ली से 12 शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
भारत के विकास में एनआरआई समुदाय के ‘अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान’ पर जोर देते हुए संधू ने कहा, “देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में 3.5 करोड़ से अधिक एनआरआई महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनके अमूल्य योगदान से लेकर आज भारत की प्रगति में उनकी सक्रिय भागीदारी तक। एनआरआई न केवल भारत में बड़ी मात्रा में धन भेज रहे हैं, बल्कि वे वैश्विक स्तर पर भी अमिट छाप छोड़ रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में संपन्न यूके संसद चुनावों में भारतीय मूल के 29 सांसद निर्वाचित हुए, जिससे दोनों सदनों में सांसदों की कुल संख्या 40 हो गई, जो स्पष्ट रूप से भारतीय प्रवासी के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और देश की सॉफ्ट पावर को दर्शाता है।
सांसद सतनाम संधू ने एनआरआई की जमीन हड़पने के मामलों के समाधान के लिए विश्वास बहाली उपायों के तहत सरकार को कई सुझाव दिए। एनआरआई की संपत्तियों की सुरक्षा के तंत्र के तहत संधू ने सरकार से संपत्तियों के लिए भूमि मानचित्रण प्रबंधन शुरू करने की अपील की, ताकि कोई भी अवैध रूप से उन पर कब्जा न कर सके। अवैध कब्जे के मामले में, सरकार को एनआरआई को वन-स्टॉप समाधान या इंटरफेस प्रदान करके तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
सांसद ने सरकार से आग्रह किया कि वह एक साधारण नोटिस के माध्यम से अनधिकृत कब्जाधारियों को हटाने के लिए समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित करे।
संधू ने यह भी सुझाव दिया कि एनआरआई संपत्तियों से संबंधित कानूनी मामलों को फास्ट-ट्रैक अदालतों के माध्यम से तेजी से निपटाया जाना चाहिए और एनआरआई को भारतीय दूतावासों के माध्यम से सीधे शिकायत दर्ज करने की अनुमति देने के लिए एक समर्पित सुविधा भी स्थापित की जानी चाहिए ताकि ऐसे मामलों पर समय पर अनुवर्ती कार्रवाई की जा सके।
एमपी ने कहा, “ऐसी नीतिगत हस्तक्षेप, जब लागू किए जाएंगे, तो न केवल यह सुनिश्चित होगा कि एनआरआई अवैध कब्जे के डर के बिना अपनी संपत्तियों पर कब्जा बनाए रखेंगे, बल्कि भारतीय कानूनी प्रणाली में उनका विश्वास भी बहाल होगा और देश के साथ उनका रिश्ता और मजबूत होगा।”
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