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महाकुंभ में 100 महिला नागा संतों ने ली दीक्षा

100 female Naga saints took initiation in Mahakumbh

महाकुंभ नगर,20 जनवरी । महाकुंभ के पवित्र अवसर पर अब आध्यात्मिक कार्यों की शुरुआत हो गई है। इस बार महाकुंभ में जूना अखाड़े ने एक महत्वपूर्ण पहल की है, जिससे महिला संतों की संख्या में इजाफा हुआ है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान 45 दिनों तक चलने वाले इस महायज्ञ में अखाड़े द्वारा महिला और पुरुष दोनों को नागा संत बनाने की परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है। इसी क्रम में रविवार को जूना अखाड़े ने लगभग 100 महिलाओं को नागा संत बनाने की दीक्षा दी।

सबसे पहले, इन महिला नागा संन्यासियों का मुंडन संस्कार किया गया। इसके बाद उन्होंने गंगास्नान किया। स्नान के बाद इन महिलाओं को वैदिक मंत्रों के साथ दीक्षा दी गई। इस प्रक्रिया के दौरान अखाड़े के संत और गुरु ने महिला नागा संतों को धार्मिक आचार संहिता और अपने जीवन की पूरी प्रतिबद्धता की शपथ दिलाई।

अखाड़े के ध्वज के नीचे विधि पूर्वक संस्कार किए गए और फिर इन महिलाओं को गुरु के वचन सुनाए गए। इसके बाद भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया और उन महिलाओं को 108 बार यह कसम दिलाई गई कि वे अपने घर-परिवार और सांसारिक जीवन को छोड़कर केवल सन्यासी जीवन अपनाएंगी। इसके अलावा, उन्हें यह शपथ भी दिलाई गई कि वह कभी शादी नहीं करेंगी और हमेशा साधु-संतों के साथ रहकर सनातन धर्म को फैलाने में अपना योगदान देंगी।

गुरु की दीक्षा के बाद इन महिला नागा संतों को संन्यासी परंपरा का हिस्सा बना लिया गया। यह भी बताया गया कि अगर इनमें से कोई व्यक्ति इस नियम का उल्लंघन करता है तो उसे संन्यासी परंपरा से निष्कासित कर दिया जाएगा।

जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर ऋषि भारती जी महाराज ने आईएएनएस से कहा कि ये सभी माताएं संन्यास लेकर सनातन और देश की सेवा करेंगी। आज पूरी रात अपना अनुष्ठान करेंगी और फिर अखाड़े के ध्वज के नीचे पूरे विधि-विधान से संस्कार किए जाएंगे। अपने गुरु महाराज के सानिध्य में ये सभी महिलाएं अपने जीवन को देश और सनातन के प्रति समर्पित करेंगी। त्रिवेणी तट पर संत बनाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। इस दौरान ये लोग अपना भी पिंड दान करेंगी।

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