आगामी धान कटाई के मौसम में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए मोगा प्रशासन ने एक विशेष रणनीति तैयार की है। इसने 100 गांवों की पहचान की है, जहां पिछले सीजन के दौरान पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे।
डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल ने कहा कि इन गांवों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और पराली जलाने की किसी भी कोशिश पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिले में पर्याप्त कृषि मशीनरी उपलब्ध है और किसान सहायता के लिए कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
सारंगल ने बताया कि मोगा जिले के निहाल सिंह वाला उपखंड के लोपोन गांव में पिछले साल खेतों में आग लगने की सबसे ज़्यादा घटनाएं (46) हुईं, इसके बाद वांडर (45), हिम्मतपुरा और लंगेआना नवां (43), भलूर और सैदोके (42), रौंता (40), बुट्टर और दौधर शर्की (39) और राउके कलां (38) का नंबर आता है। सारंगल ने बताया कि जिन गांवों में ये घटनाएं हुईं, वहां ज़रूरी मशीनरी की कोई कमी नहीं थी।
डीसी ने बताया कि प्रशासन ने पराली जलाने की घटनाओं पर नज़र रखने और उन्हें रोकने के लिए 22 क्लस्टर अधिकारी और 334 नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। किसानों को पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं।
निवासी ऐसी किसी भी घटना की सूचना प्रशासन को दे सकते हैं, जो तत्काल कार्रवाई करेगा।