April 10, 2025
National

चंपारण सत्याग्रह के 107 साल, गांधीजी की पहली अहिंसक क्रांति पर गर्व का अनमोल क्षण

107 years of Champaran Satyagraha, a precious moment of pride on Gandhiji’s first non-violent revolution

इतिहास के पन्नों में 10 अप्रैल, 1917 का दिन एक ऐसी घटना के साथ दर्ज है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। इस दिन महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की, जो भारत में उनके नेतृत्व में पहला सत्याग्रह आंदोलन था। गुरुवार को इस ऐतिहासिक आंदोलन को 107 साल पूरे हो गए। यह आंदोलन नील की खेती के लिए मजबूर किए जा रहे किसानों के शोषण के खिलाफ था, जिसने सत्य और अहिंसा को संघर्ष का हथियार बनाया।

चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत बिहार के चंपारण जिले से हुई, जहां ब्रिटिश बागान मालिक किसानों को नील की खेती के लिए बाध्य करते थे। इस शोषण की खबर मिलते ही महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद चंपारण पहुंचे। उन्होंने देखा कि किसानों की आजीविका छीनी जा रही है और उन्हें अन्याय सहना पड़ रहा है। इसके खिलाफ गांधीजी ने सत्याग्रह शुरू किया। इस आंदोलन में न गोली चली, न लाठी चली, न जुलूस निकले, न बड़ी सभाएं हुईं। फिर भी यह ब्रिटिश शासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया।

गांधीजी ने स्थानीय किसानों के साथ मिलकर उनकी समस्याओं को समझा और ब्रिटिश प्रशासन के सामने उनकी मांगें रखीं। इस दौरान उनकी गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन उन्होंने जमानत लेने से इनकार कर दिया। उनका यह कदम जनता में एक नई चेतना जगा गया। गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में आजमाए गए सत्याग्रह के अपने अनुभव को भारत की धरती पर पहली बार चंपारण में उतारा। इस आंदोलन ने न केवल किसानों को शोषण से मुक्ति दिलाई, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं को एक नई प्रेरणा भी दी।

लंबे संघर्ष के बाद गांधीजी की मेहनत रंग लाई। 4 मार्च, 1918 को ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा और चंपारण कृषि अधिनियम पारित हुआ। इस अधिनियम ने किसानों को नील की खेती के शोषण से मुक्ति दिलाई।

चंपारण सत्याग्रह गांधीजी के नेतृत्व में भारत का पहला बड़ा जन आंदोलन था, जिसने साबित किया कि अहिंसा और सत्य के बल पर भी अन्याय के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है। 107 साल बाद भी यह घटना हमें सिखाती है कि एकजुटता और संकल्प के साथ हर चुनौती का सामना किया जा सकता है।

वृंदावन कन्या विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका शुभलक्ष्मी ने बताया, “10 अप्रैल, 1917 को हमारे पूज्य बापू महात्मा गांधी ने चंपारण से सत्याग्रह की शुरुआत की थी। नील किसानों के शोषण के खिलाफ यह आंदोलन सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चला। बिना लाठी, भाले या गोली के यह सफल हुआ। 107 साल बाद भी हम संपूर्ण भारतवासी सत्याग्रह का पर्व मना रहे हैं और शपथ ले रहे हैं कि बापू के बताए मार्ग पर चलेंगे। चंपारण सत्याग्रह सिर्फ एक आंदोलन नहीं था, बल्कि यह सत्य और अहिंसा की ताकत का प्रतीक था। गांधीजी ने दिखाया कि बिना हिंसा के भी अन्याय के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है। यह आज भी हमारे लिए प्रेरणा है।”

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