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केयू में 107वां वार्षिक भारतीय आर्थिक संघ सम्मेलन शुरू

107th Annual Indian Economic Association Conference begins at KU

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा भारतीय आर्थिक संघ (आईईए) के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय 107वां वार्षिक सम्मेलन “टिकाऊ, विकसित और आत्मनिर्भर भारत” शुक्रवार को शुरू हुआ।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि भारतीय अर्थशास्त्रियों का 2047 तक विकसित भारत के प्रधानमंत्री मोदी के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान होगा।

उन्होंने कहा, “डिजिटल भुगतान, हथियार निर्यात, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उद्यमिता के क्षेत्र में भारत ने पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो जाएगा और आत्मनिर्भर भारतीय मॉडल आज उद्यमिता के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है।”

भारतीय आर्थिक संघ के अध्यक्ष और श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि भारतीय शिक्षा परंपरा आधुनिक भारतीय आर्थिक व्यवस्था में अंतर्निहित है। कौटिल्य का अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति भारतीय सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था के आधार स्तंभ हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रोफेसर एडीएन बाजपेयी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था के आधुनिक स्वरूप का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को जाता है।

भारतीय आर्थिक संघ के उत्तरी क्षेत्र के उपाध्यक्ष डॉ. जोति मुरुगन और आईईए के अकादमिक समन्वयक डॉ. बीपी चंद्रमोहन ने भी सम्मेलन को संबोधित किया सम्मेलन के आयोजन सचिव प्रोफेसर अशोक चौहान ने बताया कि सम्मेलन में 16 तकनीकी सत्रों में 780 शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेंगे।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में इंडियन इकोनॉमिक जर्नल का विशेष अंक और आईईए सदस्यता प्रोफ़ाइल तथा कुछ पुस्तकें: भारत में महिला सशक्तिकरण (परिप्रेक्ष्य, मुद्दे और चुनौतियां), विकसित भारत @ 2047: दृष्टि, समृद्ध कल के लिए जीवन को सशक्त बनाना, अनकही कहानी: रेगिस्तान में विकास की खोज: एचआरआरएल प्रभाव का एक अध्ययन, स्थानिए नगर निकाय का वित्तीय स्वरूप, तथा भारत से विकसित भारत के अवसर और चुनौतियां का विमोचन किया गया।

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