हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज घोषणा की कि व्यापक वर्षा के कारण पूरे राज्य को “आपदा प्रभावित” घोषित कर दिया गया है, जिसमें 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सोमवार को संबंधित अधिसूचना जारी कर दी गई है। उन्होंने कहा, “बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से 3,056 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। सबसे ज़्यादा नुकसान सड़कों, पुलों और जल एवं बिजली आपूर्ति योजनाओं को हुआ है।”
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2025 की धारा 24 की उपधारा (ई) के तहत राजस्व विभाग के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ द्वारा अधिसूचना जारी की गई है। सुखू ने कहा कि 19 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से 45 बादल फटने, 91 बाढ़ और 105 बड़े भूस्खलन में 161 लोगों की मौत हो गई, जबकि 40 अन्य लापता हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में चंबा, मंडी, कुल्लू, शिमला, कांगड़ा और किन्नौर शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि चंबा के भरमौर में मणिमहेश यात्रा के दौरान हताहतों की संख्या को लेकर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा, “सोलह तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई है और उनमें से चार के शव अभी भी भरमौर के कुगती गाँव में फंसे हुए हैं। चंबा प्रशासन ने शवों को लाने के लिए 20 कुलियों की व्यवस्था की है, लेकिन भारी बारिश के कारण यह प्रक्रिया बाधित हो रही है।”
सुखू ने यह भी बताया कि उन्हें 27 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का एक पत्र मिला था जिसमें उन्होंने मानसून की तबाही पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा, “मैं आभारी हूँ कि शांता कुमार ने प्रधानमंत्री और केंद्र को पत्र लिखकर विभिन्न बैंकों में पड़े 2 लाख करोड़ रुपये में से हिमाचल को 20,000 करोड़ रुपये का विशेष राहत पैकेज देने की मांग की है।”
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