जगाधरी के सिविल अस्पताल के दो कर्मचारियों पर मेडिको लीगल रिपोर्ट (एमएलआर) तैयार करने के लिए लोगों से ली जाने वाली सरकारी फीस में कथित तौर पर गबन करने का आरोप है। कर्मचारियों ने एमएलआर तैयार करने के लिए लोगों से शुल्क तो लिया, लेकिन उन्हें रसीदें नहीं दीं।
उन्होंने कथित तौर पर एमएलआर तैयार करने के लिए पुरानी रसीदों के नंबर कंप्यूटर में दर्ज किए, क्योंकि रसीद नंबर दर्ज किए बिना कंप्यूटर एमएलआर तैयार नहीं करता। इसके अलावा, वे एमएलआर बनाने के लिए नई रसीदों की संख्या कई बार दर्ज करते थे।
जगाधरी के उप-मंडलीय नागरिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुज मंगला ने बताया कि आरोपियों की पहचान सतबीर और रुचि के रूप में हुई है, जो दोनों डाटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम करते थे।
उन्होंने बताया कि सतबीर 2018 से और रुचि 2022 से यहां संविदा कर्मचारी (एचकेआरएन के तहत कार्यरत) के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब मामला प्रकाश में आया तो इसकी जांच के लिए चार वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम गठित की गई।
डॉ. अनुज मंगला ने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने एक अप्रैल 2024 से सितंबर 2024 तक इस मामले की जांच की। इस दौरान गबन के करीब 35 मामले प्रकाश में आए। उन्होंने बताया कि सिविल सर्जन डॉ. मनजीत सिंह के निर्देश पर संदिग्धों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई है।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार सरकारी अस्पतालों में एमएलआर के लिए 250 रुपये शुल्क निर्धारित है। नोटिस देने के बाद अस्पताल के अधिकारियों ने उनसे गबन की गई कुछ रकम भी वसूल की।
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