सोलन, 16 जुलाई शूलिनी विश्वविद्यालय में ग्रामीण महिलाओं के लिए मशरूम की खेती और उत्पाद विकास पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम ‘पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में ग्रामीण आबादी के सामाजिक सशक्तीकरण और स्थिरता’ की पहल का एक हिस्सा था, और इसे एमएस स्वामीनाथन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर और स्कूल ऑफ बायोइंजीनियरिंग एंड फूड टेक्नोलॉजी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोलन ब्लॉक के नौ स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की 20 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। इसने महिलाओं को मशरूम की खेती की तकनीकों और विभिन्न फलों और सब्जियों से उत्पाद विकास की व्यापक जानकारी दी। एमएस स्वामीनाथन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर के एसोसिएट डीन डॉ सोमेश शर्मा ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “महिलाओं का उत्साह और सीखने की उत्सुकता वास्तव में प्रेरणादायक है। इस प्रशिक्षण ने उन्हें मशरूम की खेती की तकनीकों और उत्पाद विकास पर ज्ञान प्रदान किया, जो टिकाऊ प्रथाओं और आर्थिक लाभप्रदता पर केंद्रित था।” विभिन्न मशरूम प्रजातियों और उनकी साल भर की लाभप्रदता क्षमता के बारे में व्यापक विवरण पर चर्चा की गई
खाद्य प्रसंस्करण प्रयोगशाला में व्यावहारिक सत्रों के दौरान, प्रतिभागियों ने मशरूम कुकीज़, टमाटर केचप और प्यूरी बनाई, जिन्हें उनके स्वाद और गुणवत्ता के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। सत्रों में खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्य संवर्धन, खराब होने को कम करने और उत्पादकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया गया।
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