राज्य भर से 12 महिलाओं सहित 24 खिलाड़ी राष्ट्रीय ड्रैगन बोट और पारंपरिक खेल चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए आज केरल के लिए रवाना हुए। यह चैंपियनशिप 16 से 19 जनवरी तक एलेप्पी में आयोजित की जा रही है।
पोंग वेटलैंड के ठंडे पानी में दो सप्ताह का विशेष प्रशिक्षण पूरा करने वाले खिलाड़ियों का चयन हिमाचल प्रदेश ड्रैगन बोट और पारंपरिक खेल संघ द्वारा किया गया है। संघ के प्रशिक्षक श्याम लाल ने वेटलैंड में अंतिम प्रशिक्षण सत्र का संचालन किया, जिसे महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि ड्रैगन बोटिंग एक पैडल से चलने वाला जल खेल है जिसकी शुरुआत 2,000 साल से भी पहले चीन में हुई थी। उन्होंने कहा, “ड्रैगन बोट टीमों में 20 पैडलर (छोटी नावों के लिए 10) तक हो सकते हैं, साथ ही एक स्वीप और एक ड्रमर भी हो सकते हैं, और वे ड्रैगन के सिर और पूंछ से सजी फाइबरग्लास नावों में प्रशिक्षण और दौड़ लगाते हैं।”
एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने राज्य सरकार से कांगड़ा जिले के महाराणा प्रताप सागर में जल क्रीड़ा गतिविधियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता जताई। उन्होंने इस बात पर दुःख व्यक्त किया कि एक के बाद एक सरकारों ने अभी तक सरकारी विभागों में किसी भी जल क्रीड़ा टीम को मान्यता नहीं दी है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ड्रैगन बोट एवं पारंपरिक खेल चैम्पियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी अगले महीने जर्मनी में होने वाली 17वीं विश्व ड्रैगन बोट रेस चैम्पियनशिप में स्थान प्राप्त कर सकते हैं।
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