N1Live National कारगिल विजय के 25 साल : 25 प्वाइंट्स में जानिए ‘ऑपरेशन विजय’ की बड़ी बातें
National

कारगिल विजय के 25 साल : 25 प्वाइंट्स में जानिए ‘ऑपरेशन विजय’ की बड़ी बातें

25 years of Kargil Vijay: Know the important things about 'Operation Vijay' in 25 points

नई दिल्ली, 26 जुलाई । 25 साल पहले भारत के शूरवीरों ने पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को खदेड़ दिया था। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया और स्वर्ण अक्षरों में नाम अंकित करा गए। युद्ध मई में शुरू हुआ और कारगिल विजय के जश्न से खत्म हुआ। आइए जानते हैं रजत जयंती पर कारगिल युद्ध के ‘ऑपरेशन विजय’ की अहम बातें।

मई 1999 में घुसपैठ का पता चला, 3 मई 1999 को एक चरवाहे ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कश्मीरी वेशभूषा में बड़ी संख्या में लोगों को देखा। उसने सेना की टुकड़ी को इसकी जानकारी दी। पाकिस्‍तानी भारतीय सीमा में 15 किलोमीटर आगे आ चुके थे।

चरवाहे का नाम ताशी नामग्याल था। उसने ही पाकिस्तानी घुसपैठियों संबंधी जानकारी सेना को दी। वो अपने लापता याक को तलाशते हुए बटालिक सेक्टर में पहुंचा था।

भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया और कारगिल युद्ध की शुरुआत हुई। यह संघर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर मई से जुलाई 1999 तक हुआ था।

84 दिनों तक भारत-पाक के बीच युद्ध चला। थल सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के इरादे संग दुश्मनों को धूल चटाई तो वायु सेना के ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ ने दुश्मन देश के हौसलों को पस्त कर दिया था।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक कारगिल युद्ध के दौरान कुल मिलाकर, भारतीय वायुसेना ने लगभग 5,000 स्ट्राइक मिशन, 350 टोही/ईएलआईएनटी मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं।

5 मई को भारतीय सैनिकों की पहली टुकड़ी पहुंची। कैप्‍टन सौरभ कालिया पांच जवानों के साथ पेट्रोलिंग पर पहुंचे थे। पाकिस्‍तानी सैनिकों ने बजरंग चोटी पर कैप्‍टन कालिया समेत अन्‍य जवानों की बेरहमी से हत्‍या कर दी।

13 मई को भारतीय वायुसेना ने हवाई हमले शुरू किए।

27 मई को भारतीय वायु सेना का एक मिग-21 और मिग-27 हवा में मार करने वाली मिसाइलों की चपेट में आ गए। इस हमले के बाद मिग-27 के पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट कम्बम्पति नचिकेता को इमरजेंसी एग्जिट लेनी पड़ी थी।

28 मई को भारतीय वायु सेना का एमआई-17 गोलाबारी की जद में आ गया था। इस हमले में चालक दल के चार सदस्‍यों ने देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्‍च बलिदान दिया।

18 मई को प्वाइंट 4295 और 4460 पर भारतीय सेना ने वापस कब्जा किया। 13 जून को तोलोलिंग और प्वाइंट 4590 को कब्जे में लिया। 14 जून को ‘हंप’, 20 जून को प्वाइंट 5140, 28 जून को भारतीय सैनिकों ने प्वाइंट 4700 पर कब्जा किया।

29 जून को ‘ब्लैक रॉक’, ‘थ्री पिम्पल’ और ‘नॉल’ जीता। 4 जुलाई को टाइगर हिल पर लगातार 11 घंटे के संघर्ष के बाद प्वाइंट 5060 और प्वाइंट 5100 पर कब्जा किया।

5 जुलाई को भारतीय सैनिकों ने प्वाइंट 4875 पर झंडा फहराया तो 14 जुलाई को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के सफल होने की घोषणा की और 26 जुलाई 1999 को करगिल युद्ध समाप्‍त हो गया।

पाकिस्‍तानी सेना ने 15,990 फीट की ऊंचाई पर रणनीतिक तौर पर अहम इस चोटी पर बंकर बना लिया था।

एक सीधी चढ़ाई वाली इस चोटी का सफर तय कर कैप्टन विक्रम बत्रा समेत 11 जांबाजों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। कैप्टन बत्रा को मरणोपरांत सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया

जब कारगिल युद्ध हुआ था, उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।

युद्ध जीतने के बाद उन्होंने ‘ऑपरेशन विजय’ के सफल होने का ऐलान किया था। उन्होंने बताया था कि भारत सरकार ने पाकिस्तान से बातचीत के लिए शर्तें रखी हैं। इस युद्ध के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे।

तोलोलिंग पीक श्रीनगर-लेह हाइवे के ठीक सामने मौजूद है। वहां पर प्वाइंट 5140 और प्वाइंट 4875 हैं। यहीं पर हमारे भारतीय जवानों ने सबसे ज्यादा शहादत दी। यह 16 हजार फीट की ऊंचाई पर है। यहां पारा माइनस 5 से माइनस 11 तक रहता है।

कारगिल वॉर मेमोरियल की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक 674 बहादुर सैनिकों ने शहादत दी।

इनमें से 4 को सर्वोच्च परमवीर चक्र,10 को महावीर चक्र और 70 को वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की कमान जनरल वीपी मलिक के हाथ में थी।

तत्कालीन सेना प्रमुख मलिक ने कहा था कि भारतीय सेना का ऑपरेशन विजय राजनीतिक, सैन्‍य और कूटनीतिक कार्रवाई का मिलाजुला उदाहरण था।

पाकिस्‍तान के मंसूबों पर भारत ने एक बार फिर पानी फेर दिया। वो भारत की सुदूर उत्‍तरी चोटियां, जहां सियाचिन ग्लेशियर की लाइफलाइन एनएच-1 डी है, को किसी तरह काटकर उस पर कब्‍जा करना चाहता था।

लक्ष्य एक ही था कि लद्दाख की ओर जाने वाली रसद के काफिलों की आवाजाही को रोक सके और भारत को मजबूर होकर लेह और सियाचिन छोड़ना पड़े।

पाकिस्तान के पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा, कारगिल युद्ध उनके देश की भूल थी ।

कर्नल (सेवानिवृत्त) अशफाक हुसैन ने कहा था, “कारगिल ऑपरेशन 1971 के आत्मसमर्पण से भी कहीं बड़ी भूल थी।”

Exit mobile version