इंफाल, 5 मार्च । मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि पिछले साल 3 मई को राज्य में शुरू हुए जातीय संघर्ष के बाद से मणिपुर में पाए गए 6,746 अवैध म्यांमार प्रवासियों में से 259 को उनके बायोमेट्रिक्स ब्योरा दर्ज करने के बाद 27 फरवरी तक उनके देश वापस भेज दिया गया है।
विधानसभा के पटल पर विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं और बच्चों सहित बाकी 6,487 शरणार्थी, जो 1 फरवरी, 2021 को म्यांमार में सैन्य जुंटा द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद मणिपुर भाग आए थे, उन्हें अस्थायी रूप से आश्रय गृह में रखा गया।
सिंह ने सदन को बताया कि यह सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपाय किए गए हैं कि प्रवासी स्थानीय लोगों से न मिलें।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य में चल रही जातीय हिंसा में 213 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 198 की पहचान आम नागरिकों के रूप में की गई है, जिनमें 20 महिलाएं और आठ बच्चे शामिल हैं।
सिंह ने कहा, 114 मृत व्यक्तियों के परिजनों को अनुग्रह राशि दी गई है और बाकी के लिए प्रक्रिया चल रही है। सत्यापन के बाद उन्हें राशि दी जाएगी।
संघर्ष के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) के सामने आने वाली चुनौतियों पर सिंह ने सदन को बताया कि उनके लिए 320 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।
इस साल मई तक सामुदायिक हॉलों में रहने वाले आईडीपी को उचित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा या उनकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए हॉलों को विभाजित किया जाएगा।
सिंह के पास गृह विभाग भी है, उन्होंने कहा कि सुरक्षा चिंताओं के कारण आईडीपी को अपने संबंधित स्थानों पर लौटने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन कई लोग अपने सामान्य जीवन को फिर से शुरू करने के लिए पहले ही अपने गांवों में लौट आए हैं।
कांग्रेस विधायक टी. लोकेश्वर सिंह और कीशम मेघचंद्र के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय संकट से प्रभावित बच्चों के लिए सरकारी स्कूलों में मुफ्त स्कूल यूनिफॉर्म और पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं, जबकि फीस में भी छूट दी गई है।
सिंह ने कहा कि श्रम विभाग के तहत हिंसा से प्रभावित प्रत्येक घर को 5,000 रुपये की सहायता दी गई।