लकड़ी की तस्करी पर एक बड़ी कार्रवाई करते हुए वन विभाग ने कल देर रात कुल्लू के पार्वती वन प्रभाग में देवदार की लकड़ी के 37 स्लीपर जब्त किए और सात लोगों को गिरफ्तार किया। नियमित गश्त के दौरान की गई यह कार्रवाई इस पारिस्थितिक रूप से नाजुक हिमालयी क्षेत्र में अवैध कटाई के बारे में बढ़ती चिंताओं को उजागर करती है।
पार्वती प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) प्रवीण ठाकुर ने बताया कि यह जब्ती रात करीब 11:45 बजे रौली बीट के रौली मौर के पास हुई। डिप्टी रेंजर नीरज शर्मा के नेतृत्व में गश्त कर रही टीम ने तस्करी के संदेह में दो वाहनों- एक जीप (एचपी-45-0417) और एक अन्य वाहन (एचपी-01-9647) को रोका। जांच करने पर एक जीप से विभिन्न आकारों के 37 देवदार की लकड़ी के स्लीपर बरामद किए गए। एक वाहन में चालक समेत चार लोग सवार थे, जबकि दूसरे वाहन में भी चार लोग सवार थे। अभियान के दौरान एक संदिग्ध अंधेरे में भाग निकला।
गश्ती दल में वन रक्षक बुद्धि सिंह (रौली बीट), पप्पू सोनी (नांजा बीट), बुधराम (नारोल बीट) तथा वन मित्र राकेश कुमार और डोले राम शामिल थे। सात संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है तथा जांच जारी है।
डीएफओ ठाकुर ने इस बात पर जोर दिया कि अवैध कटाई की बढ़ती गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए वन विभाग ने पार्वती डिवीजन के सभी बीटों में गश्त बढ़ा दी है। उन्होंने कहा, “जब्ती की गई लकड़ी संभवतः कालाबाजारी के लिए थी। हम इस खेप के स्रोत और गंतव्य की गहन जांच कर रहे हैं।”
हिमालय का मूल निवासी देवदार, हिमाचल प्रदेश में एक संरक्षित प्रजाति है। आधिकारिक अनुमति के बिना इसकी कटाई अवैध है। हालांकि, फर्नीचर बनाने और मंदिर निर्माण में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली देवदार की लकड़ी की उच्च मांग ने तस्करी को बढ़ावा दिया है, खासकर दूरदराज के इलाकों में।