नई दिल्ली, 29 जून हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 2016 में चार लाख फर्जी छात्रों के पाए जाने के मामले में सीबीआई ने शुक्रवार को एफआईआर दर्ज की। अधिकारियों ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के 2 नवंबर 2019 के आदेश पर यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और दावा किया था कि जांच के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ सकती है और जांच राज्य पुलिस को सौंपी जानी चाहिए। अदालत ने हाल ही में याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की।
2016 में हाईकोर्ट को बताया गया कि आंकड़ों के सत्यापन से पता चला कि सरकारी स्कूलों में विभिन्न कक्षाओं में 22 लाख छात्र थे, लेकिन वास्तव में केवल 18 लाख छात्र ही पाए गए। इनमें से चार लाख फर्जी दाखिले थे।
अदालत को यह भी बताया गया कि समाज के पिछड़े या गरीब वर्ग के छात्रों को स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मध्याह्न भोजन सहित कुछ लाभ दिए जा रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने राज्य सतर्कता विभाग को चार लाख “अस्तित्वहीन” छात्रों के लिए धन की संदिग्ध हेराफेरी की जांच के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया था। पीठ ने जिम्मेदारी तय करने और दोष सिद्ध होने पर उसके अनुरूप कार्रवाई करने का आदेश दिया, ताकि रोकथाम के उपाय किए जा सकें।
सतर्कता ब्यूरो की अनुशंसा पर राज्य में सात एफआईआर दर्ज की गईं।
अपने 2019 के आदेश में, उच्च न्यायालय ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच “बहुत धीमी” थी। इसके बाद उसने उचित, गहन और त्वरित जांच के लिए जांच सीबीआई को सौंप दी।
इसने राज्य सतर्कता विभाग को 2 नवंबर, 2019 के अपने आदेश के एक सप्ताह के भीतर सभी दस्तावेज सौंपने को कहा था और सीबीआई को तीन महीने के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।