November 27, 2024
Himachal

8 महीने में 528 मामले, स्वास्थ्य विभाग का ऊना को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य

ऊना जिले में इस कैलेंडर वर्ष के आठ महीनों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा तपेदिक (टीबी) के कुल 528 मामले पाए गए हैं। यह जानकारी बुधवार को उपायुक्त जतिन लाल की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की बैठक में स्वास्थ्य अधिकारियों ने दी।

मरीजों के लिए किट मरीजों के लिए पोषण किट सरकार से नहीं, बल्कि सार्वजनिक योगदान और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निधि से आ रही है। – डॉ. संजीव वर्मा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, कुल मामलों में से 374 फेफड़े की टीबी के थे। 11 मरीज एचआईवी से भी पीड़ित थे, 123 मधुमेह से पीड़ित थे, जिसका मतलब है कि वे कम प्रतिरक्षा के कारण इस बीमारी से संक्रमित हो सकते हैं।

पिछले वर्ष ऊना जिले में टीबी के 719 मामले पाए गए थे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव वर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार की निक्षय योजना के तहत सभी टीबी मरीज 500 रुपये की पोषण किट पाने के पात्र हैं। उन्होंने बताया कि ये किट सरकार की तरफ से नहीं बल्कि आम जनता के योगदान या कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड से मिल रही हैं। जिले में टीबी के लिए वर्तमान में 800 मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें से विभाग 322 को किट उपलब्ध करा पाया है।

उपायुक्त ने घोषणा की कि शेष मरीजों को जिला रेडक्रॉस के फंड से किट उपलब्ध कराई जाएंगी। स्वान महिला फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने भी 10 मरीजों के लिए जिला रेडक्रॉस को योगदान देने की घोषणा की।

सीएमओ ने बताया कि विभाग के पास फील्ड सैंपलिंग और मरीजों की जांच के लिए दो पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें हैं। उन्होंने बताया कि एक मशीन पिछले एक साल से खराब है। उन्होंने बताया कि घरेलू स्तर पर करीब 12,000 मरीजों की जांच की गई है।

केंद्र ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा था, लेकिन कोविड के कारण समय सीमा बढ़ा दी गई।

डॉ. वर्मा ने बताया कि करीब दो साल पहले टीबी के खिलाफ वयस्कों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था और छह मापदंडों पर खरे उतरने वाले लोगों को बीसीजी का टीका लगवाने की सलाह दी गई थी। उन्होंने बताया कि जिले में लक्षित आबादी के 85 प्रतिशत लोगों को टीका लगाया जा चुका है।

सीएमओ ने बताया कि डीसी को बताया गया कि जिले की 68 पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है तथा घरेलू स्तर पर स्क्रीनिंग जारी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिले में टीबी का कोई भी मामला उपचार से वंचित न रहे।

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