विभागीय परीक्षाएँ पास करना सरकारी अधिकारियों की कमज़ोरी बनी हुई है। एक ऐसे घटनाक्रम में, जो सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और बागवानी सहायक इंजीनियरों/उप-मंडल इंजीनियरों (एई/एसडीई) की शैक्षणिक और व्यावसायिक योग्यता पर सवालिया निशान लगाता है, लगभग 89 प्रतिशत इंजीनियर विभागीय व्यावसायिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए हैं।
हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) द्वारा इस वर्ष मई में आयोजित परीक्षा के परिणाम हाल ही में लोक निर्माण (भवन एवं सड़क) विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग अग्रवाल द्वारा अधिसूचित किए गए।
परीक्षा में शामिल हुए 61 सहायक अभियंताओं/उप-विकास अभियंताओं में से केवल सात को ही “सभी पेपरों में उत्तीर्ण घोषित” किया गया, जबकि बाकी को “अभी उत्तीर्ण नहीं हुए पेपरों” की श्रेणी में रखा गया। कई अभ्यर्थियों ने उन छह पेपरों में से कुछ पास कर लिए, जिनमें उन्हें उत्तीर्ण होना था, वहीं कई को कुछ या सभी पेपरों में “अनुपस्थित” घोषित कर दिया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उच्च असफलता दर ने हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) के माध्यम से एई/एसडीई की “योग्यता-आधारित” भर्ती के हरियाणा सरकार के दावों को झूठा साबित कर दिया है, और कहा कि इससे उनकी “तकनीकी विशेषज्ञता और डोमेन ज्ञान” संदेह के घेरे में आ गया है।
इन अधिकारियों के लिए संभावित परिणामों के बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभागीय परीक्षा में असफल होने पर उन्हें अयोग्य घोषित किया जा सकता है, भविष्य में होने वाली परीक्षाओं से वंचित किया जा सकता है, तथा यहां तक कि वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में भी नकारात्मक प्रविष्टि दर्ज की जा सकती है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप पदोन्नति और कैरियर उन्नति लाभ में देरी हो सकती है या उन्हें अस्वीकार किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि नरम रुख अपनाते हुए हरियाणा सरकार अधिकारियों को परीक्षा में ‘‘फिर से बैठने’’ की अनुमति देगी।
यह परिणाम ऐसे समय में आया है जब पशुपालन एवं डेयरी विभाग के 56 प्रतिशत अधिकारी, जिनमें पशु चिकित्सक भी शामिल हैं, विभागीय परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए हैं।

