October 1, 2024
Haryana

हरियाणा में 1.8 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां खाली पड़ी हैं

चंडीगढ़, 13 जून हरियाणा में 1.8 लाख से अधिक नियमित पद रिक्त होने के बावजूद, लगभग 1.25 लाख संविदा कर्मचारी हरियाणा सरकार के कामकाज को संचालित कर रहे हैं।

वास्तव में, संविदा कर्मचारी स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) और सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग (पीएचई) सहित कई महत्वपूर्ण विभागों के संचालन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (एचकेआरएनएल)में करीब 1.05 लाख संविदा कर्मचारी पंजीकृत हैं। इनमें से करीब 15,000 स्वास्थ्य विभाग में, 13,000 बिजली विभाग में, 8,000 शहरी स्थानीय निकाय विभाग में, 8,000 पीएचई विभाग में, 5,000 हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) में और 5,000 विश्वविद्यालयों में कार्यरत हैं।

शिक्षा विभाग में कार्यरत 5,000 संविदा कर्मचारी एचकेआरएनएल के अंतर्गत पंजीकृत हैं, जबकि शिक्षा विभाग में संविदा आधार पर कार्यरत 14,000 से अधिक अतिथि शिक्षक भी कार्यरत हैं। इनके अलावा, विभिन्न विभागों में संविदा आधार पर कार्यरत कम से कम 2,000 कर्मचारी या तो एचकेआरएनएल के अंतर्गत पंजीकृत हैं या सीधे विभागों के अंतर्गत काम कर रहे हैं।

हरियाणा में करीब 4.5 लाख स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब 2.7 लाख नियमित कर्मचारी काम कर रहे हैं। दरअसल, पिछले कुछ सालों में नियमित कर्मचारियों की संख्या में कमी आई है, जबकि आबादी में काफी वृद्धि दर्ज की गई है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने आरोप लगाया कि 1980 में हरियाणा सरकार में 1.25 करोड़ की आबादी के मुकाबले करीब 4 लाख कर्मचारी थे, जो अब घटकर 2.9 करोड़ की आबादी के मुकाबले 2.7 लाख रह गए हैं।

हालांकि, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण विलंबित हजारों सरकारी पदों पर भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि अगले करीब तीन महीने में विभिन्न सरकारी विभागों में हजारों कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी, जिससे इन विभागों में कर्मचारियों की कमी दूर होगी।

कर्मचारी अत्यधिक काम के बोझ तले दबे, तनाव में

हजारों रिक्त पदों के चलते न तो बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल रहा है और न ही नागरिकों को संतोषजनक सेवाएं मिल पा रही हैं। मौजूदा कर्मचारी अत्यधिक काम के बोझ तले दबे हुए हैं और तनाव में हैं। – सुभाष लांबा, अध्यक्ष, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ

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