केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि केंद्र द्वारा लाए गए तीन नए आपराधिक कानून 21वीं सदी में भारत में हुए सबसे बड़े सुधार साबित होंगे।
शाह यहां आपराधिक न्याय तंत्र को मजबूत करने के लिए ई-साक्ष्य, न्याय सेतु, न्याय श्रुति और ई-समन प्रणालियों का शुभारंभ करने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
1 जुलाई को प्रभावी हुए बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए ने क्रमशः ब्रिटिशकालीन भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया।
शाह ने कहा कि चंडीगढ़ देश की पहली प्रशासनिक इकाई होगी जहां अगले दो महीनों में तीनों कानूनों का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन पूरा हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि ये नए कानून, जिनके माध्यम से आपराधिक न्याय प्रणाली संचालित होती है, 21 वीं सदी का “सबसे बड़ा” सुधार है।
उन्होंने आगे कहा, “जब ये कानून पूरी तरह से लागू हो जाएंगे तो तकनीकी रूप से हम दुनिया में सबसे आगे होंगे… संविधान की भावना के अनुसार, ये नागरिक केंद्रित कानून बनाए गए हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा, “बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए संसद में चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा भारत के लोगों के लिए बनाए गए कानून हैं। इसमें भारतीय मिट्टी की खुशबू है और हमारी न्याय की संस्कृति भी है।”
शाह ने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य लोगों को न्याय दिलाना है।
शाह ने कहा कि संविधान सिर्फ किताब नहीं है, यह एक आत्मा है। उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति का सम्मान और अधिकार है। हर व्यक्ति को न्याय मिले, यह सुनिश्चित करना संविधान की जिम्मेदारी है। संविधान की इस भावना को जमीन पर उतारने का माध्यम हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली है।”
उन्होंने कहा कि इन तीनों नये कानूनों में काफी बदलाव किये गये हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “आप इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एफआईआर दर्ज करा सकेंगे। इस कानून में मॉब लिंचिंग को लेकर सख्त प्रावधान किए गए हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि अब यहां अपराध करने के बाद देश से भागना आसान नहीं होगा।
शाह ने कहा, “पहले जो लोग देश छोड़कर भाग जाते थे, उनके मामले सालों तक लंबित रहते थे। लेकिन अब भगोड़ा घोषित होने के बाद उनकी अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलेगा और उन्हें सजा भी मिलेगी। अगर वे अपील करना चाहते हैं, तो उन्हें आत्मसमर्पण करना होगा और उच्च न्यायालय जाना होगा।”
मंत्री ने कहा कि ऐसे कई लोग हैं जो अपराध करने के बाद देश छोड़कर भाग गए हैं और कानून की पहुंच से बाहर हैं।
अगर कोई ऐसा प्रयास करेगा तो उसे यहां दंडित किया जाएगा।’
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने आठ फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय स्थापित किए हैं तथा आठ और विश्वविद्यालय खोले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि हर साल काउंटी को 36,000 फोरेंसिक विशेषज्ञ मिलेंगे।
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