नई दिल्ली, 27 अगस्त । जमात-ए-इस्लामी हिन्द वुमन विंग की सचिव रहमथुन्निसा ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते आपराधिक मामलों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी है, लेकिन उनके प्रति नैतिक और धार्मिक मूल्यों में बदलाव की बहुत ज्यादा जरूरत है।
रहमथुन्निसा ने मंगलवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा कि महिलाओं के साथ आज बहुत जुल्म हो रहा है। उनके साथ दुष्कर्म और हत्या जैसे आपराधिक मामले बढ़ रहे हैं। भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति गहरी सामाजिक असमानताएं, स्त्री द्वेष, पूर्वाग्रह और भेदभाव की स्थिति और भी जटिल हो गई है। विशेषकर जब बात उपेक्षित वर्गों जैसे दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और विकलांग महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की हो।
उन्होंने कहा कि कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ अस्पताल में बलात्कार और हत्या, गोपालपुर (बिहार) में 14 वर्षीय दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या, उधम सिंह नगर (उत्तराखंड) में एक मुस्लिम नर्स के साथ बलात्कार और हत्या तथा बदलापुर (महाराष्ट्र) के एक स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न जैसी घटनाएं साबित करती हैं कि हमारे देश में महिलाओं और लड़कियों के प्रति मानसिकता और दृष्टिकोण पर गंभीर आत्मनिरीक्षण की जरूरत है।
रहमथुन्निसा ने कहा कि समाज में नैतिक मूल्यों और धार्मिक मूल्यों के प्रति सोच को बदलना जरूरी है। नैतिक मूल्यों में गिरावट के कारण महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं। आज महिलाओं को असली आजादी देनी है तो नैतिक मूल्यों पर बल देना बहुत आवश्यक है। हमें अपनी मां, बहन की ही तरह ही दूसरी महिला के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए। नैतिक मूल्यों का होना बहुत जरूरी है, इसके जरिए ही हमें असली आजादी मिलेगी।
रहमथुन्निसा ने कहा हमेशा यह कहा जाता है कि लड़कियों को शिक्षित करना बहुत जरूरी है। लेकिन आज वो अपने पैर पर खड़ी हैं और बाहर नौकरी भी कर रही हैं। बावजूद इसके उनके साथ कोलकाता जैसी घटनाएं हो रही हैं। इससे साफ है कि सिर्फ शिक्षा काफी नहीं है, बल्कि समाज की सोच में बदलाव की बहुत जरूरत है। महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने वाले अपराधी को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
उन्होंने भारत की कानूनी प्रक्रिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी आपराधिक मामले में देरी नहीं होनी चाहिए। अक्सर ऐसा देखा जाता है कहीं भी किसी महिला के साथ कोई घटना होती है तो लोग सड़कों पर कैंडल मार्च निकालते हैं और मीडिया में भी बहुत चर्चा होती है। बावजूद इसके पीड़िता को जल्द न्याय नहीं मिल पाता, इसलिए न्याय प्रक्रिया में देरी नहीं होनी चाहिए।
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