बेंगलुरू, कर्नाटक के उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस सब-इंस्पेक्टर (पीएसआई) भर्ती घोटाला हत्या से भी जघन्य अपराध है। यह आतंकवाद के समान है। कोर्ट के इस बयान के बाद कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा दबाव में आ गई है। मामले में न्यायिक जांच की मांग बढ़ने से सत्तारूढ़ भाजपा नेता अपनी छवि खराब होने को लेकर चिंता में हैं, क्योंकि आम चुनाव में 10 महीने से भी कम समय बचा है।
गुरुवार को जस्टिस एचपी संदेश की पीठ ने पीएसआई भर्ती घोटाले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान पीठ ने कहा कि हत्या के मामले में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। यहां 50,000 उम्मीदवारों को मुश्किल में डाल दिया जाता है। अगर हर भर्ती इस तरीके से की जाती है, तो क्या आप चाहते हैं कि अदालत चुप रहे?
पीठ की समक्ष जब आरोपी के वकील ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि यह घोटाला का मामला है, हत्या का मामला नहीं। तो इसपर पीठ ने कहा कि यह घोटाला समाज पर फैलाया गया आतंकवाद है।
लोक अभियोजक वी.एस. हेगड़े ने कहा कि अतिरिक्त डीजीपी रैंक के एक अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है और यह मामले की गंभीरता को दर्शाता है।
हेगड़े ने अपनी दलील में कहा, “जांच कहीं भी पहुंच सकती है। एडीजीपी अमृत पॉल, दो उपाधीक्षक और तीन पीएसआई उम्मीदवारों को गिरफ्तार किया गया है और हजारों कॉल डिटेल्स की जांच की जा रही है। इसके लिए अभी और समय की जरूरत है।”
हेगड़े ने कोर्ट को बताया कि जांच के दौरान अब तक ढाई करोड़ रुपये नकद जब्त किए जा चुके हैं।
मामले की सुनवाई 20 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
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