December 21, 2024
National

आरटीआई से खुलासा : 10 साल में पाकिस्तान की जेलों में 24 भारतीय मछुआरों की मौत

RTI reveals: 24 Indian fishermen died in Pakistan jails in last 10 years

मुंबई, 30 सितंबर । सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पिछले 10 साल में पाकिस्तान की जेलों में 24 भारतीय मछुआरों की मौत हुई है। मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता जतिन देसाई ने सोमवार को यह जानकारी दी।

इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग की ओर से आरटीआई के जवाब में प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए जतिन देसाई ने यह बात कही। ये आंकड़े जनवरी 2014 से दिसंबर 2023 की अवधि के हैं।

उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक मछुआरे विनोद लक्ष्मण का 17 मार्च को निधन हो गया और उनका शव अंतिम संस्कार के लिए इस वर्ष 1 मई को घर वापस भेजा गया।

सौराष्ट्र (गुजरात) के एक अन्य मछुआरे सुरेश नाटू ने 5 सितंबर को कराची जेल में अंतिम सांस ली, लेकिन उनके पार्थिव शरीर को अभी तक वापस नहीं लाया गया है। परिवार पिछले तीन सप्ताह से उनके पार्थिव शरीर का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

देसाई ने कहा कि आज की तारीख तक 210 भारतीय मछुआरे ‘गलती से’ अंतर्राष्ट्रीय जल सीमा पार करने और दूसरे देश की समुद्री एजेंसियों द्वारा पकड़े जाने के कारण पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं। इनमें से 180 मछुआरे अपनी जेल की सजा पूरी कर चुके हैं और उनकी राष्ट्रीयता का सत्यापन भी काफी पहले हो चुका है, लेकिन उन्हें भारत वापस भेजने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

इन 180 भारतीय मछुआरों में से कम से कम 52 ने पाकिस्तान की जेलों में तीन साल से ज्यादा समय बिताया है और बाकी 130 दो साल से ज्यादा समय से वहां की जेलों में बंद हैं। आरटीआई के जवाब के मुताबिक, पालघर और सौराष्ट्र के दो मछुआरों की इस साल मौत हो गई।

देसाई ने बताया कि जेलों में बंद लगभग 10 मछुआरों के स्वास्थ्य को लेकर उनका परिवार चिंतित है। उन्होंने कहा कि कांसुलर एक्सेस पर द्विपक्षीय समझौते 2008 के अनुसार, धारा (5) में स्पष्ट रूप से कहा गया है, “दोनों सरकारें व्यक्तियों की राष्ट्रीय स्थिति की पुष्टि और सजा पूरी होने के एक महीने के भीतर उन्हें रिहा करने और वापस भेजने पर सहमत हैं।”

कार्यकर्ता ने कहा कि इसका मतलब यह है कि लगभग 180 भारतीय मछुआरों को बहुत पहले ही रिहा कर दिया जाना चाहिए था और उन्हें भारत वापस भेज दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं किया गया है।

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