नई दिल्ली, 8 अक्टूबर हरियाणा से आए चुनाव परिणाम ने साफ साबित कर दिया कि बीजेपी लगातार तीसरी बार राज्य में सरकार बनाने जा रही है। एग्जिट पोल के सारे आंकड़े धरे के धरे रह गए।
दरअसल, कांग्रेस को यह साफ लग रहा था कि पार्टी इस बार हरियाणा में वापसी कर जाएगी। लेकिन, आम आदमी पार्टी के चुनाव में एंट्री करते ही राजनीति के जानकार मानने लगे थे कि कांग्रेस के लिए अब हरियाणा की डगर आसान नहीं है।
इसके साथ ही जानकार यह भी मानते थे कि कांग्रेस यहां 10 साल से सत्ता से बाहर है। ऐसे में उनके कार्यकर्ताओं में वैसा उत्साह भी नहीं है और अंतर्कलह की वजह से पार्टी अपनी दावेदारी उस तरह से पेश नहीं कर पाएगी, जैसा पार्टी के आलाकमान सोच रहे हैं।
ऊपर से कांग्रेस ने इस चुनाव के लिए देर से कमर कसी। इसके साथ ही अंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस भाजपा सरकार के 10 सालों के कार्यकाल को जोरदार ढंग से चुनाव-प्रचार के दौरान नहीं उठा पाई। इसके साथ ही कांग्रेस के तीन नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला के समर्थकों का अनबन भी सामने था। तीनों ही यहां सीएम के चेहरे के तौर पर नजर आ रहे थे। अगर पार्टी ने यहां सीएम के चेहरे के तौर पर किसी को उतारा होता तो शायद यह गुटबाजी कम देखने को मिलती।
इसके साथ ही कुमारी शैलजा को लेकर पार्टी के भीतर जो चला, उसकी वजह से ओबीसी और दलित वोट बैंक कांग्रेस से खिसका और यह कहीं ना कहीं भाजपा की तरफ चला गया। इसके साथ ही यहां इंडी गठबंधन का साथ नहीं आना, जैसे कांग्रेस के साथ सपा और आम आदमी पार्टी का गठबंधन नहीं हो पाना भी कांग्रेस के हार का कारण बन गया।
अब बात करते हैं कि कांग्रेस की उन 7 गारंटियों की जो प्रदेश की जनता के लिए कांग्रेस ने दिए थे। इसमें कांग्रेस ने तेलंगाना मॉडल अपनाया। जिसमें 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने, बुजुर्गों और दिव्यांगों को 6 हजार की पेंशन और दो कमरों के मकान का वादा किया गया। किसानों को लुभाने के लिए एमएसपी को कानूनी गारंटी बनाने का भी भरोसा दिया गया। क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का दावा किया गया। सरकार बनी तो गरीबों के 25 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज के साथ पुरानी पेंशन स्कीम को दोबारा बहाल करने का वादा भी शामिल था।
इसके साथ ही इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की तरफ से भी प्रदेश की जनता के लिए फ्री की रेवड़ी का वादा किया गया था। जिसमें मुफ्त बिजली, मुफ्त इलाज और बेहतरीन शिक्षा जैसी कई चीजें थी।
हरियाणा की जनता ने इस चुनाव में जिस तरह से भाजपा के पक्ष में मतदान किया, उससे एक बात तो स्पष्ट हो गई कि फ्री की गारंटियां यहां की जनता के लिए बेअसर साबित हुईं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह रही कि कांग्रेस के द्वारा कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश की जनता से जो मुफ्त की गारंटी दी गई थी, वह पूरी नहीं हो पाई। जहां भी सरकार इन फ्री की गारंटियों को लागू करने की कोशिश में लगी, उसके पसीने छूट गए। राज्य सरकार का सरकारी खजाना खाली हो गया और सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ने के साथ कर्ज भी बढ़ने लगा।
इन राज्यों में इस गारंटी स्कीम के साइड इफेक्ट भी देखने को मिलने लगे। हिमाचल प्रदेश में तो कांग्रेस पार्टी ने 10 गारंटियां दी थी। उन्हें पूरा करने में सुक्खू सरकार का दम फूल रहा है। इनमें मुख्य रूप से ओल्ड पेंशन योजना, 300 यूनिट मुफ्त बिजली और महिलाओं को हर माह 1,500 रुपये जैसे वादे थे।
वहीं, तेलंगाना में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं और सरकार पर कर्ज का अतिरिक्त बोझ पहले से ही है। ऐसे में अब जो हरियाणा के चुनाव नतीजे आए हैं, उसने साफ कर दिया कि यहां प्रदेश के लोगों को कांग्रेस की फ्री गारंटी वाली स्कीम नहीं पसंद आई। साथ ही यह भी पता चल गया कि अब यह वादे जनता को रिझाने के लिए बेअसर साबित हो रहे हैं।
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