बेंगलुरु, 12 अक्टूबर । कर्नाटक में सिद्दारमैया सरकार ने 2022 हुबली थाना हिंसा मामले में दर्ज मामलों को वापस लेने का फैसला किया है। पुलिस पर हमला करने के आरोप में 150 से अधिक लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
कर्नाटक सरकार के इस फैसले से विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार आतंकवादियों का समर्थन कर रही है। इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा कि सरकार के पास कुछ मामलों को वापस लेने का अधिकार है।
कैबिनेट की बैठक में हुबली दंगा मामले समेत 43 पुलिस मामलों को वापस लेने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, “सरकार के पास कुछ मामलों को वापस लेने का अधिकार है और वह इसकी जानकारी लेंगे। भाजपा हमेशा झूठ को लेकर आंदोलन करती है। मैं इस मामले की पुष्टि करने के बाद इस बारे में बात करूंगा।”
आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राजनीतिक मकसद से दर्ज किए गए पुलिस मामलों को वापस लेने का फैसला किया गया है। कुछ मामलों पर चर्चा की गई और उन्हें वापस ले लिया गया।
उन्होंने आगे कहा कि दंगे के मामलों में, आरोपियों के नाम ‘अन्य’ के रूप में दर्ज होते हैं और जांच के बाद ये मामले वापस ले लिए जाते हैं। इसमें कोई राजनीति नहीं है।
प्रियांक खड़गे ने कहा कि भाजपा एमएलसी सी.टी. रवि के खिलाफ भी एक मामला वापस ले लिया गया है। क्या वे कहेंगे कि यह राजनीतिक है? सभी मामलों की पुष्टि की गई और स्थानीय स्तर पर जानकारी मिलने के बाद क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है।
इस कदम का विरोध करते हुए भाजपा एमएलसी एन. रवि कुमार ने शुक्रवार को कहा, “16 अप्रैल 2022 को हुबली में एक उपद्रवी ने कथित तौर पर व्हाट्सएप संदेश में इस्लाम के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की थीं, जिसके कारण भीड़ ने थाने को घेर लिया। पुलिस तब तक उसे गिरफ्तार कर चुकी थी। इसके बावजूद, भीड़ ने उसे उनके हवाले करने की मांग की और कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश की। कहा गया कि यह बयान अल्पसंख्यकों के लिए बिल्कुल भी नहीं था।”
उन्होंने कहा कि अगले दिन, हजारों लोगों ने एक जुलूस निकाला, एक पुलिस जीप पर इस्लामिक झंडा फहराया गया। उन्होंने पुलिस पर पथराव किया, जिससे कई अधिकारी घायल हुए। चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य सरकार ने अब इस घटना से संबंधित एफआईआर को रद्द कर दिया है। गुरुवार को कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी। यह शर्मनाक है।
दरअसल, 16 अप्रैल 2022 को हुबली में एक व्हाट्सएप पोस्ट को लेकर गुस्साई भीड़ ने थाने पर हमला किया था। 10 पुलिस वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। पथराव में एक इंस्पेक्टर समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में 152 लोगों को गिरफ्तार किया था और हिंसा के संबंध में 12 मामले दर्ज किए थे।
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