January 21, 2025
Himachal

एफआरए के तहत भूमि आवंटन में देरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

Protest against delay in land allotment under FRA

कांगड़ा जिले के विभिन्न भागों में स्थित बड़ा भंगाल के निवासियों तथा कई अन्य गांवों के चरवाहों ने शिकायत की है कि उन्हें वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत मालिकाना हक नहीं दिए जा रहे हैं। वन अधिकार अधिनियम के तहत मालिकाना हक के लिए आवेदन करने वाले कई लोगों ने आज धर्मशाला मिनी सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया तथा कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।

प्रदर्शन में शामिल हिमाचल के गमंतु पशुपालक सभा के राज्य सलाहकार अक्षय जसरोटिया ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत समुदायों के 50 दावे और व्यक्तियों के 351 दावे पिछले कई सालों से लंबित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उक्त दावे ग्राम स्तरीय समितियों और उपमंडल स्तरीय समितियों द्वारा पारित करके जिला स्तरीय समितियों को भेजे गए हैं। लेकिन उनके दावों का निपटारा नहीं किया गया है और न ही मालिकाना हक जारी किया गया है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में ग्राम पंचायतों में वन अधिकार समितियों का गठन किया गया तथा उसके बाद व्यक्तिगत व सामुदायिक दावे दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई। सभी दावेदारों ने अपने दावे संबंधित वन अधिकार समितियों के समक्ष प्रपत्र ए में प्रस्तुत किए तथा नियम 11(4) के तहत ग्राम सभा की ओर से प्रपत्र बी व सी में सामुदायिक दावे तैयार किए। इसके बाद ग्राम सभा द्वारा जांच प्रक्रिया पूरी करने के बाद दावों को पारित कर संबंधित उपमंडल स्तरीय समिति (एसडीएलसी) के समक्ष जमा कराया गया।

जसरोटिया ने आरोप लगाया कि वर्ष 2020 में बैजनाथ उपमंडल की मुलथान तहसील की 28 ग्राम सभाओं को जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा सामुदायिक वन अधिकार पट्टे प्रदान किए गए हैं। मुलथान तहसील की ग्राम सभा बड़ा भंगाल के सामुदायिक वन अधिकार दावे को एसडीएलसी बैजनाथ द्वारा अनुमोदित करके डीएलसी को भेजा गया था, जो अभी भी लंबित है। इसके अलावा कांगड़ा जिले की बैजनाथ तहसील, पालमपुर, जयसिंहपुर, नूरपुर, धर्मशाला और मुलथान के सामुदायिक और व्यक्तिगत दावों को ग्राम सभाओं द्वारा पारित करके एसडीएलसी और डीएलसी को सौंप दिया गया है।

जसरोटिया ने आरोप लगाया कि वन अधिकार अधिनियम के तहत पात्र परिवारों को वन अधिकार अधिनियम की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही बेदखली आदेश जारी कर बेदखल किया जा रहा है, जो वन अधिकार अधिनियम की धारा 4(5) का खुला उल्लंघन है।

वर्तमान सरकार ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में स्पष्ट लिखा था कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो प्रदेश में वन अधिकार अधिनियम लागू किया जाएगा। प्रदेश में इस कानून के प्रति राजनीतिक इच्छाशक्ति होने के बावजूद प्रशासन इस कानून को लागू करने में गंभीरता नहीं दिखा रहा है। इसलिए सरकार के दो वर्ष बीत जाने के बाद भी कांगड़ा जिला में एक भी सामुदायिक व व्यक्तिगत अधिकार पट्टा सरकार द्वारा प्रदान नहीं किया गया है।

इस बीच, लोगों को वन अधिकार आवंटित करने के लिए आज धर्मशाला में डीएलसी की बैठक हुई। सूत्रों ने बताया कि प्रशासन देहरा विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले कई पौंग बांध विस्थापितों को वन अधिकार अधिनियम के तहत अधिकार दे सकता है।

कांगड़ा के डीसी हेमराज बैरवा ने पूछे जाने पर कहा कि जिन दावों के कागजात सही हैं, उन्हें जल्द से जल्द निपटाया जाएगा। राज्य सरकार ने आदेश दिया है कि वन अधिकार अधिनियम के तहत सभी दावों को निपटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “इसलिए हम मामलों को आगे बढ़ाएंगे और जिन दावों के कागजात सही हैं, उन्हें निपटाया जाएगा।”

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